उत्‍तराखंड

बीजेपी सांसद मेनका गांधी की चिट्टी से उत्तराखंड सरकार में मची खलबली, जानें ऐसा क्या है चिट्टी में

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तीरथ सिंह रावत और मेनका गांधी

देहरादून| पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के एक और चिट्ठी से उत्तराखंड सरकार में खलबली मच जाने की बातें भी सामने आ रही हैं. इस बार मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नाम लिखी ताज़ा चिट्ठी में भाजपा सांसद गांधी ने नैनीताल और उधमसिंह नगर ज़िलों में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिज़र्व की योजना को खनन माफिया के इशारे पर तैयार किया गया प्लान बताते हुए साफ तौर पर मांग की है कि इसे तत्काल निरस्त कर दिया जाए.

यही नहीं, चिट्ठी में लोकसभा सदस्य गांधी ने साफ तौर पर आरोप लगाया है कि इसमें उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों का खनन माफिया के साथ सीधा गठजोड़ चल रहा है. इस मामले में कथित तौर पर भाजपा के दो बड़े नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं.

मेनका गांधी के पत्र के बाद उत्तराखंड सरकार में क्योंकि गंभीर आरोप और सवाल सीधे तौर पर दागे गए हैं. गांधी ने सीएम से माइग्रेटरी बर्ड रिज़र्व बनाए जाने संबंधी कई सवाल पूछते हुए लिखा है कि इन तमाम बातों की जानकारी उन्हें दी जाए.

यह भी लिखा है कि उन्होंने पहले भी इस मामले के बारे में जानकारी और जांच के लिए पत्र लिखा था, लेकिन उसका कोई जवाब उन्हें आज तक नहीं मिला. जानिए कि गांधी ने पत्र में क्या लिखा है और क्या है पूरा मामला.

बीजेपी सांसद ने 22 जून को एक पत्र सीएम तीरथ सिंह रावत के नाम लिखा, जो बेहद चर्चा में आ गया है. मीडिया में इससे जुड़ी खबरों के बीच एक समाचार वेबसाइट ने इस पत्र की कॉपी प्रकाशित की है, जिसके मुताबिक गांधी ने लिखा है कि 26 अक्टूबर 2020 को भी उन्होंने इस मामले में उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

बहरहाल, बिंदुवार जानें कि गांधी ने कौन से सवाल खड़े किए हैं.

1. क्या माइग्रेटरी बर्ड्स कोई तालाब खोदकर लाई जा सकती हैं?
2. क्या अधिकारियों ने माइग्रेटरी बर्ड्स को लेकर कोई सर्वे करवाया? कोई सूची तैयार की?
3. कौन से माइग्रेटरी बर्ड्स उत्तराखंड आती हैं, कहां से आती हैं, राज्य में कहां पाई जाती हैं?
4. कम्युनिटी रिज़र्व बनाने के लिए और कौन सी जगहें चुनी गई हैं?

गांधी का आरोप है कि इस तरह से तालाब खोदकर प्रवासी पक्षियों को बुलाया जाना संभव नहीं है इसलिए स्पष्ट है कि खनन माफिया को बड़ा अवसर देना ही इस पूरी योजना का मकसद है, जिसे नैनीताल के बैलपड़ाव और उधमसिंह नगर के बाजपुर में लागू किए जाने की तैयारी की जा रही है. दूसरा गंभीर आरोप गांधी ने यह लगाया ​है कि इस मामले में तीरथ सिंह रावत सरकार के अधिकारी खनन माफिया के साथ सीधा संबंध रखते हैं और उन्हें फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.

वास्तव में अगस्त 2020 में उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए बैलपड़ाव व बाजपुर में माइग्रेटरी पक्षियों को आकर्षित करने के लिए कम्युनिटी रिज़र्व बनाने की योजना पर मुहर लगाई थी. इसके बाद मार्च 2021 में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत बन गए, लेकिन गांधी के अक्टूबर 2020 के पत्र में उठाई गई आपत्तियों और आरोपों का कोई जवाब अब तक राज्य सरकार ने नहीं दिया. गांधी ने साफ तौर पर कहा था कि इस तरह से प्रवासी पक्षी कहीं नहीं आते. आर्टिफिशियल तौर पर तैयार किए गए ईको सिस्टम को तैयार होने में कई साल लग जाते हैं.

इससे पहले भी मेनका गांधी उत्तराखंड सरकार को निशाना बना चुकी हैं. इसी साल 5 जनवरी को लिखे एक पत्र में उन्होंने उत्तराखंड सरकार के शीप और वूल विकास बोर्ड में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए लिखा था, ‘3000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले का पर्दाफाश हो, इससे पहले मेरा मशवरा है कि यह कार्यक्रम तुरंत बंद कर दिया जाए. कर्ज़ की किसी रकम को चुराने का यह मामला बेहद शर्मनाक है और कोयला व बोफोर्स कांड जितना बड़ा घपला है.’

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