उत्तराखंड में मंडरा रहा बड़े भूकंप का खतरा, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

उत्तराखंड में बड़े भूकंप का खतरा मंडरा रहा है. इस खतरे को देखते हुए वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है.

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों के अनुसार उत्‍तराखंड के धारचुला को चीन सीमा पर स्थित लिपुलेख से जोड़ने वाली नई कैलाश मानसरोवर सड़क से करीब 45 किमी दूर पृथ्‍वी के निचले हिस्‍से में बड़ी गतिविधि हो रही है.

वैज्ञानिकों ने धारचुला क्षेत्र और कुमाऊं हिमालयी क्षेत्र के आसपास के इलाकों में सूक्ष्म और मध्यम तीव्रता के भूकंपों की बड़ी मात्रा का खुलासा किया है.

इसके साथ ही क्षेत्र में भूगर्भीय तनाव और भूगर्भीय संरचना की भी खोज की है.

एक अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों का कहना है कि इस क्षेत्र में भूगर्भीय तनाव के कारण भूकंपीय गतिविधियां रिकॉर्ड की गई हैं.

ऐसे में ऐसी आशंका जताई जा रही है कि भविष्य में इस क्षेत्र में उच्च तीव्रता के भूकंप की भी संभावना है.

यह शोध करने वाले वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्‍व करने वाले वैज्ञानिक देवजीत हजारिका ने अधिक जानकारी दी है.

उन्‍होंने कहा, ‘1905 में कांगड़ा भूकंप और 1934 में बिहार-नेपाल भूकंप के अलावा इस क्षेत्र में पिछले 500 वर्षों में 8 से अधिक की तीव्रता के भूकंप नहीं आए है. इसलिए इस क्षेत्र को केंद्रीय भूकंपीय अंतराल (सीएसजी) क्षेत्र या गैप के रूप में जाना जाता है.’

हजारिका का कहना है, ‘गैप एक शब्द है जिसका उपयोग थोड़ा टेक्टोनिक गतिविधि वाले क्षेत्र को दर्शाने के लिए किया जाता है. हालांकि कुमाऊं मध्य हिमालय इस सीएसजी क्षेत्र से संबंधित है.

यह हिमालय बेल्ट के सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है, जिसने हाल के दिनों में काफी मध्यम और तीव्र भूकंपों को देखा है.’

संस्थान के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के साथ मिलकर कुमाऊं हिमालय क्षेत्र में अक्सर महसूस किए जाने वाले इन भूकंपों के कारणों की जांच करने के लिए काली नदी घाटी के किनारे 15 ब्रॉडबैंड भूकंपीय स्टेशनों के एक भूकंपीय नेटवर्क की स्थापना की है.

हजारिका ने कहा, ‘धारचूला क्षेत्र दो घुटने जैसी संरचनाओं के बीच पड़ता है, जो इस क्षेत्र में तनाव को बढ़ाता है. यही कारण है कि वर्षों से यहां भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं.

यहां कई छोटे भूकंप आए हैं और भगर्भीय तनाव बढ़ता जा रहा है. बेशक भूकंप के पैमाने या सटीक समय की भविष्यवाणी करना असंभव है. हमारा मानना है कि यह भगर्भीय तनाव कभी भी बाहर निकल सकता है.’

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