मुंबई| देश में महाराष्ट्र कोरोना वायरस महामारी की सबसे ज्यादा मार झेल रहा है. कोरोना के सबसे ज्यादा एक्टिव केस भी यहीं आ रहे हैं. इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने कई तरह की छूट तो दी हैं, मगर अभी भी कई तरह की पाबंदियां लागू हैं. धार्मिक स्थलों को अभी तक बंद रखा गया है.
अब इस मामले को लेकर राज्यपाल और सीएम के बीच राजनीतिक जंग तेज होती दिख रही है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हिंदुत्व पर सवाल उठाते हुए उन्हें धार्मिक स्थलों को खोलने को कहा है.
उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल को जवाब में चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र में धार्मिक स्थल खोलने की चर्चा के साथ कोरोना के बढ़ते मामलों का भी ध्यान रखना चाहिए.
महाराष्ट्र के सीएम ने कहा, ‘मुझे अपना हिंदुत्व साबित करने के लिए आपसे सर्टिफिकेट नहीं चाहिए. जो लोग हमारे राज्य की तुलना पीओके से करते हैं उनका स्वागत करना मेरे हिंदुत्व में फिट नहीं बैठता है. सिर्फ मंदिर खोलने से ही क्या हिंदुत्व साबित होगा?’
इस मामले में अब राज्यपाल और सीएम आमने-सामने आ गए हैं. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी चिट्ठी में कहा कि 1 जून से आपने मिशन फिर से शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन चार महीने बाद भी पूजा स्थल नहीं खोले जा सके हैं.
राज्यपाल ने कहा, ‘यह विडंबना है कि एक तरफ सरकार ने बार और रेस्तरां खोले हैं, लेकिन दूसरी तरफ, देवी और देवताओं के स्थल को नहीं खोला गया है. आप हिंदुत्व के मजबूत पक्षधर रहे हैं. आपने भगवान राम के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी भक्ति व्यक्त की.’
कोश्यारी ने कहा, ‘आपने आषाढ़ी एकादशी पर विट्ठल रुक्मणी मंदिर का दौरा किया था, क्या आपने अचानक खुद को धर्मनिरपेक्ष बना लिया है? जिस शब्द से आपको नफरत है? दिल्ली में पूजा स्थल खोले गए हैं लेकिन कोविड -19 मामलों में वृद्धि हुई है.’
दरअसल, राज्य में लंबे समय से बंद धार्मिक स्थलों को खोलने की मांग तेज हो गई है. मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर मुंबई में प्रदर्शन किया. इसके अलावा शिरडी में साधु-संत अनशन पर बैठ गए हैं. बीजेपी का कहना है कि राज्य में शराब की दुकानें खुल गई हैं, लेकिन मंदिर सात महीने से बंद हैं. ऐसे में सभी संतों की मांग है कि उद्धव सरकार राज्य में मंदिर खोले.