सोमवार को महाराष्ट्र विधान सभा में मानसून सत्र शुरू हुआ. इस सत्र में महाराष्ट्र सरकार को ‘ओबीसी विधेयक’ पारित करवाना था. इसी को लेकर सत्र के पहले ही दिन बीजेपी विधायकों ने जमकर हंगामा किया. पहले सदन की सीढ़ियों पर बैठकर बीजेपी के नेताओं ने नारेबाजी की और उसके बाद स्पीकर के केबिन में जाकर अधिकारियों से धक्का-मुक्की की.
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने भाजपा के इन विधायकों को निलंबित करने का ‘प्रस्ताव’ पेश किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. उसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा के अंदर पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव से बदसलूकी करने पर बीजेपी के 12 विधायक महाराष्ट्र विधानसभा से एक साल के लिए ‘निलंबित’ कर दिए गए.
एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि इन भाजपा विधायकों ने स्टेज पर जाकर पीठासीन अधिकारियों के साथ धक्का-मुक्की की और सदन के अंदर नेता विपक्ष ने अपना स्पीकर माइक तोड़ा.बीजेपी के जिन 12 विधायकों को सदन से निलंबित किया गया है.
उनके नाम इस प्रकार है. संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, राम सातपुते, विजय कुमार रावल, योगेश सागर, नारायण कुचे, कीर्ति कुमार बंगड़िया हैं. दूसरी ओर बीजेपी विधायकों ने इस निलंबन की कार्रवाई का कड़ा विरोध किया और सदन से नारेबाजी करते हुए बाहर निकले.
विधायकों के निलंबन के बाद भाजपा और शिवसेना की ‘तल्खी’ एक बार फिर बढ़ गई है. जहां सोमवार सुबह तक देवेंद्र फडणवीस के बयान के बाद भाजपा और शिवसेना के सुधारते रिश्तों की बात की जा रही थी वहीं दोपहर होते-होते मानसून सत्र ने दोनों दलों के बीच खटास और बढ़ा दी. फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी सदस्यों ने फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि विपक्ष सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेगा.
फडणवीस ने कहा कि ‘यह एक झूठा आरोप है और विपक्षी सदस्यों की संख्या को कम करने का प्रयास है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि हमने स्थानीय निकायों में ‘ओबीसी कोटे’ पर सरकार के झूठ को उजागर किया है. फडणवीस ने कहा कि बीजेपी सदस्यों ने पीठासीन अधिकारी को गाली नहीं दी बल्कि शिवसेना विधायकों ने ही अपशब्दों का इस्तेमाल किया, मैं अपने विधायकों को अध्यक्ष के कक्ष से बाहर ले आया था. इस घटना ने फिर से दोनों राजनीतिक दलों के बीच ‘दरार’ और बढ़ा दी है.