बिहार में वोटिंग के बाद आए एग्जिट पोल्स में महागठबंधन की सरकार बनते हुए दिखाई गई थी. लेकिन आज जब मतगणना हो रही है तो नतीजे राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदों के मुताबिक नहीं आ रहे हैं.
महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. हालांकि रुझानों में एनडीए को बहुमत मिलता दिख रहा है.
ऐसे में सवाल है कि आखिर महागठबंधन कहां कमजोर पड़ रहा है.
अभी तक आए रुझानों और परिणामों के हिसाब से आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है. 76 सीटों पर आरजेडी आगे हैं.
वहीं दूसरे नंबर पर बीजेपी है. भाजपा 73 सीटों पर आगे हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या सबसे बड़ा दल होने के बावजूद भी आरजेडी सत्ता से दूर रह जाएगी?
ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि उसके साथ दल कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है. 70 सीटों पर लड़ी कांग्रेस अभी तक सिर्फ 20 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जो नाकाफी है.
कांग्रेस से अच्छा प्रदर्शन वाम दलों का है. वे 29 सीटों पर लड़े और 17 सीटों पर आगे हैं.
कांग्रेस को 2015 से भी कम सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि वो ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी.
ऐसे में अगर बिहार में तेजस्वी सरकार नहीं बनती है तो संभव है कि इसके लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया जाए. महागठबंधन में कांग्रेस कमजोर बनकर उभरा है.
वहीं एनडीए की बात करें तो बीजेपी का प्रदर्शन शानदार है, लेकिन जेडीयू कमजोर कड़ी बनकर उभर रही है. जेडीयू अभी 40 सीटों पर आगे है, जो 2015 से काफी कम है.
अभी तक बिहार में जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में रही है, लेकिन इस बार के बीजेपी के प्रदर्शन ने उसे छोटा साबित कर दिया है. जेडीयू भाजपा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी थी.
मुकाबला टक्कर का देखने को मिल रहा है, लेकिन दोनों पक्ष अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. राजद ने ट्वीट किया, ‘हम सभी क्षेत्रों के उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं से संपर्क में है और सभी जिलों से प्राप्त सूचना हमारे पक्ष में है.
देर रात तक गणना होगी. महागठबंधन की सरकार सुनिश्चित है. बिहार ने बदलाव कर दिया है. सभी प्रत्याशी और काउंटिंग एजेंट मतगणना पूरी होने तक काउंटिंग हॉल में बने रहें.’