विशेष: चंद्रमा के रहस्य और रोमांच के साथ समुद्र की तूफानी लहरें भी होंगी उफान पर

प्राकृतिक आपदाओं का दौर तो एक वर्ष से भारत में चल ही रहा है. कुछ दिनों पहले ‘तौकते’ अब ‘यास’ चक्रवात बंगाल, उड़ीसा के तटों पर ‘शोर’ मचा रहा है. इस चक्रवात की तीव्रता और रौद्र रूप कैसा होगा, मौसम विज्ञानियों के साथ केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक निगाहें लगी हुई हैं. यह तूफान 26 मई को पूरी तरह ‘उफान’ पर होगा . यानी कल धरती से लेकर आसमान तक हलचल देखने को मिलेगी.

यह तो रही प्राकृतिक आपदाओं की बात, अब आइए रहस्य और रोमांच के बारे में भी बात कर लिया जाए. कल बुधवार को ही एक और घटना घटित होगी. जिसे लेकर दुनिया भर के खगोल शास्त्रियों और देश के ज्योतिषाचार्यों में ‘उत्सुकता’ का माहौल है. आपने सही पहचाना हम बात कर रहे हैं ‘चंद्र ग्रहण’ की. देश में पिछले कुछ समय से बदलते मौसम के बीच कल चंद्रमा भी अपना ‘रंग’ बदल लेगा. इस बार का चंद्र ग्रहण कई मायनों में ‘अद्भुत’ है.

पहली बात तो ये ग्रहण वाले दिन ही ‘सुपरमून’ कहलाएगा. दूसरा ये खूनी लाल रंग का होगा. ये दोनों संयोग कई सालों में एक बार आता है. वैज्ञानिक इसे ‘सुपर लूनर इवेंट’ कह रहे हैं. क्योंकि सुपरमून होगा, ग्रहण भी होगा और चांद का रंग खूनी लाल रंग का दिखेगा. बता दे कि चंद्रमा जब धरती के नजदीक आ जाता है तब उसका आकार 12 फीसदी बड़ा दिखता है. आमतौर पर चांद की दूरी धरती से 406,300 किलोमीटर रहती है, लेकिन जब यह दूरी कम होकर 356,700 किलोमीटर हो जाती है तब चांद बड़ा दिखाई देता है, इसलिए इसे सुपरमून कहां जाता है.

इसके साथ इस साल का पहला चंद्रग्रहण वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लग रहा है . इसकी अवधि करीब 4 घंटे की होगी . चंद्र ग्रहण के दिन बुद्ध पूर्णिमा का पर्व भी मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक यह चंद्रग्रहण एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा लेकिन भारत में यह एक ‘उपच्छाया चंद्रग्रहण’ के रूप में दिखाई देगा. हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत में हर जगह से नहीं दिखाई देगा.

उपच्छाया होने की वजह से इस चंद्रग्रहण का भारत में खास असर नहीं
26 मई को पड़ने वाले इस ग्रहण का खास असर भारत में नहीं बताया जा रहा है . क्योंकि यह ‘उपच्छाया चंद्रग्रहण’ है. इसके साथ भारत में यह दिखाई भी नहीं देगा . यह चंद्र ग्रहण पूर्वी एशिया, उत्तरी व दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों सहित और ऑस्ट्रेलिया से यह पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा. यह चंद्र ग्रहण जापान, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, बर्मा, सिंगापुर, फिलीपींस, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका में भी पूर्ण व स्पष्ट दिखाई देगा.

भारत में यह चंद्र ग्रहण उपच्छाया की तरह होगा. देश में चंद्र ग्रहण का नजारा बुधवार दोपहर करीब 3 बजे शुरू होकर शाम 7:15 तक खत्म हो जाएगा. अन्य देशों में इसका समय अलग-अलग है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण का ‘सूतक काल’ ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. लेकिन उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूतक का प्रभाव औपचारिकता भर रहता है. शाम के बाद जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ेगा ये सुपरमून अपने ग्रहण की ओर आगे जाएगा. जैसे पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा ये पूरा खूनी लाल रंग का दिखाई देगा. बस इसी समय ये नजारा देखने लायक होगा.

भारत में यह ‘आंशिक रूप’ से दिखाई दे सकता है. दूसरी ओर चंद्र ग्रहण को लेकर खगोलशास्त्रियों ने अपनी- अपनी भविष्यवाणी की है. इस आंशिक चंद्रग्रहण को लेकर खगोल वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह किसी भी तरह से समुद्र की ज्वारीय लहरों पर अपना असर नहीं डालेगा. इस आंशिक चंद्रग्रहण को किसी चक्रवात से नहीं जोड़ा जा सकता है. बता दें कि एक ही तारीख 26 मई को चंद्र ग्रहण और चक्रवात यास की घटना घटित होने पर देश में इसे एक साथ जोड़ कर देखा जा रहा है.

जबकि खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि समुद्र में नदियों और जल निकायों में प्रवाह बढ़ रहा है या उच्च ज्वार भाटे जैसी स्थिति है तो इसे किसी भी ग्रह की स्थिति से नहीं जोड़ा जा सकता है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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