ताजा हलचल

‘कैप्टन विक्रम बत्रा’ को सेना के कमांडर ने सुखोई-30 एमकेआई को उड़ाकर दी खास तरीके से श्रद्धांजलि

0

कैप्टन विक्रम बत्रा एक युवा और बहादुर अधिकारी 7 जुलाई 1999 को जिन्होंने प्वाइंट 5140 पर कब्जा करने के दौरान अपनी सफलता के संकेत से राष्ट्र की कल्पना को पकड़ लिया और भारतीय सेनाअ धिकारी भावना के प्रतीक बन गए; “ये दिल मांगे मोर” ने सर्वोच्च बलिदान दिया.

उनका “बलिदान दिवस” ​​मनाने के लिए; उनके तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर और अब जीओसी-इन-सी, उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने सुखोई -30 एमकेआई को “बत्रा टॉप” के उपर से फ्लाई किया.

यह इशारा एक कमांडिंग ऑफिसर और उसके अधिकारी के बीच स्थायी संबंध का प्रतीक है. लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वीआरसी, एसएम ने आकाश से अपने साथी को श्रद्धांजलि दी, जो ऑपरेशन विजय में जमीनी संचालन में भारतीय वायुसेना के योगदान की उपयुक्त मान्यता है.

कैप्टन बत्रा अधिकारियों की वर्तमान पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे और ऐसा करते रहेंगे. यह सबसे उपयुक्त है कि उनकी वीरतापूर्ण कार्रवाई को उनके 13 जेएके आरआईएफ के तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर द्वारा याद किया जाए, जिनके युद्ध प्रयासों में योगदान को विरोधी के सामने असाधारण नेतृत्व के लिए वीआरसी के पुरस्कार द्वारा मान्यता दी गई थी.

जीत के बाद जब कैप्‍टन विक्रम बत्रा से प्रतिक्रिया ली गई थी तो उन्‍होंने जवाब दिया था, “ये दिल मांगे मोर” बस यहीं से इन लाइनों को पहचान मिल गई जम्‍मू कश्‍मीर राइफल्‍स के ऑफिसर कैप्‍टन विक्रम बत्रा ने एक कोल्‍ड ड्रिंक कंपनी की इन मशहूर लाइनों को और मशहूर कर दिया था, गौर हो कि कैप्‍टन विक्रम बत्रा आज ही दिन यानी सात जुलाई 1999 को कारगिल की जंग में शहीद हो गए थे कैप्‍टन बत्रा को “शेरशाह” के नाम से भी जाना जाता है और यह नाम उन्‍हें दुश्‍मन ने ही दिया था.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version