लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा कि चर्चा के लिए तारीख का ऐलान बाद में होगा. इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. इस बीच मणिपुर की स्थिति पर चर्चा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा और राज्यसभा में नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन जारी रखा.
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और बीआरएस सांसद नामा नागेश्वर राव ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दायर किया. सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा, ‘यह अविश्वास प्रस्ताव एक राजनीतिक उद्देश्य के साथ एक राजनीतिक कदम है- एक राजनीतिक कदम जो परिणाम लाएगा…अविश्वास प्रस्ताव उन्हें (प्रधानमंत्री) संसद में आने के लिए मजबूर करेगा. हमें देश के मुद्दों पर, खासकर मणिपुर पर, संसद के अंदर चर्चा की जरूरत है. संख्याओं को भूल जाइए, वे संख्याएं जानते हैं और हम संख्याएं जानते हैं…’
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘लोगों को पीएम मोदी और बीजेपी पर भरोसा है. वे पिछले कार्यकाल में भी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे. इस देश की जनता ने उन्हें सबक सिखाया है.’ केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ‘…अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार हर स्थिति के लिए तैयार है. हम मणिपुर पर चर्चा चाहते हैं…सत्र शुरू होने से पहले, वे चर्चा चाहते थे. जब हम सहमत हुए, तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया. जब हम नियमों पर सहमत हुए, तो उन्होंने नया मुद्दा लाया कि पीएम आएं और चर्चा शुरू करें. मुझे लगता है कि ये सब बहाने हैं.’
हालांकि, इस प्रस्ताव से सरकार को कोई खतरा होने की संभावना नहीं है, जिसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त है. मोदी सरकार के खिलाफ 2018 के बाद यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव होगा. इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) का निर्णय संसद में कई दिनों की कटुता और व्यवधान के बाद आया है, साथ ही भाजपा द्वारा विपक्ष की इस मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया गया है कि पीएम मोदी मणिपुर पर बयान दें. आंकड़ों पर नजर डालें तो नरेंद्र मोदी सरकार के पास लोकसभा में कम से कम 332 सांसदों का समर्थन है, जो जरूरी 272 की संख्या से कहीं ज्यादा है.
इससे पहले 20 जुलाई 2018 को, नरेंद्र मोदी सरकार ने टीडीपी सांसद श्रीनिवास केसिनेनी द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव को हरा दिया था, जिसे कई विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘पूर्वोत्तर में स्थिति नाजुक है और मणिपुर हिंसा का असर दूसरे राज्यों पर भी पड़ता दिख रहा है.
मणिपुर में 83 दिनों की लगातार हिंसा के लिए जरूरी है कि प्रधानमंत्री संसद में व्यापक बयान दें. अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार अपना अहंकार त्यागे और मणिपुर पर देश को विश्वास में लें.’ जहां तक अविश्वास प्रस्ताव और संख्या बल की बात है, तो वर्तमान लोकसभा में विपक्ष के पास नंबर्स नहीं हैं. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों के पास लोकसभा में लगभग 141 सीटें हैं, जिनकी वर्तमान संख्या 537 है.