उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा तीस हज़ार के पार कर गया है. हिमालयी राज्यों में जम्मू कश्मीर के बाद उत्तराखंड दूसरा राज्य है जहाँ कोविड के सबसे ज्यादा मामले आए हैं और फिलहाल आंकड़े बढ़ने का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा. ऐसे में क्या उपाय हो ताकि कोरोना पर ब्रेक लगे.
इसको लेकर फिलहाल कोई एक राय बनती नहीं दिखती. एक तरफ राज्य की सीमाएं पूरी तरह खोल दी गई हैं ताकि पर्यटन प्रदेश में कारोबार रफ़्तार पकड़ सके. वहीँ दूसरी तरफ कोरोना की चेन तोड़ने के लिए राज्य में कड़े लॉकडाउन किए जाने की मांग भी उठने लगी है.
राज्य में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को आया था. लगभग 6 महीने बाद कोरोना के एक दिन के मामले 1200 से आगे निकल गए. मामले लगातार और तेज़ी बढ़ रहे हैं.
400 से ज्यादा मरीजों की मौत भी हो चुकी है. यही वजह है कि सत्ताधारी भाजपा से जुड़े दो विधायक महेंद्र भट्ट और खाजनदास ने खुलकर लॉकडाउन की पैरवी की है.
विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल भी लॉकडाउन को सही उपाय मानते हैं लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत कहते हैं कि लॉकडाउन जल्दबाज़ी में लिया जाने वाला फैसला नहीं है, फ़िलहाल इसकी कोई ज़रूरत नहीं दिखती. अगर ज़रुरत महसूस हुई तो फिर विचार किया जाएगा.
सोशल एक्टिविस्ट अनूप नौटियाल कोविड के रोजाना आंकड़ों को स्टडी करने में दिलचस्पी रखते हैं. उनका मानना है लॉकडाउन अब कोई फायदा नहीं दे सकता.
नौटियाल ने इसी मुद्दे पर लोगों की राय जानने के लिए ट्विटर में एक पोल भी किया जिसमें 350 से ज्यादा यूज़र्स ने अपनी राय जाहिर की है. तरीबन 53 फीसदी यूजर्स लॉकडाउन को सही नहीं मानते.
नौटियाल कहते हैं कि बाज़ार खुलने के समय को घटाना जैसे हाइब्रिड उपाय भीड़ कम करने में मदद कर सकते हैं.
दरअसल उत्तराखंड में लॉकडाउन खुलने के बाद व्यापारिक गतिविधियाँ पूरी तरह से शुरु हो गई हैं. पर्यटकों को राज्य में आकर्षित करने के लिए एडवांस बुकिंग्स में एक हज़ार रुपये की छूट का भी प्रावधान किया गया है.
नैनीताल और मसूरी जैसे पर्यटक शहरों में चहलकदमी भी दिखने लगी है.
सरकार का कहना है कि राज्य की सीमाएं ज़रूर खुली हैं लेकिन उत्तराखंड उन्हीं को आने दिया जा रहा है जो आने के 96 घंटे पहले कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आ रहे हैं. बॉर्डर में टेस्ट करवाने की भी व्यवस्था भी की गई है ताकि कोई पोजिटिव मरीज़ छूट न जाए.
राज्य के तक़रीबन सभी इलाकों में बिना मास्क घूमने और सोशल डिस्टेनसिंग न करने वाले खूब दिख रहे हैं. पुलिस का खौफ अब लोगों में कम दिखता है.
हालांकि पुलिस कहती है कि नियम तोड़ने वालों कार्यवाही जारी है और अप्रैल से आज तक करीब 14 करोड़ का फाइन भी वसूला गया है.