लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने पार्टी में पड़ी फूट पर अपना पक्ष रख दिया है. उन्होंने ट्विटर पर एक पुराना पत्र भी साझा किया है, जो उन्होंने चाचा पशुपति कुमार पारस को लिखा था.
उन्होंने ट्विटर पर 6 पन्नों के एक पत्र भी साझा किया है, जो उन्होंने इस साल 29 मार्च को अपने चाचा यानी पशुपति कुमार पारस को लिखा था.
चिराग ने लिखा है, ‘पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा. पार्टी माँ के समान है और माँ के साथ धोखा नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है. पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूँ. एक पुराना पत्र साझा करता हूँ ।’
6 पन्नों के इस पत्र में चिराग ने बताया है कि किस तरह पार्टी में लंबे समय से तनाव बना हुआ है.ये तनाव पासवान जब जीवित थे, तब भी था.पारस चिराग को पार्टी की कमान दिए जाने से खुश नहीं थे. वो पार्टी की गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेते थे. इसका असर परिवार में भी दिख रहा था. चिराग ने पत्र में कई बातों से स्पष्ट लिखा है, जिससे इस पूरे विवाद को समझा जा सकता है।
इससे पहले हाजीपुर से सांसद पारस ने कहा था, ‘मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि बचाया है. लोजपा के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता पासवान के नेतृत्व में बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में जद (यू) के खिलाफ पार्टी के लड़ने और खराब प्रदर्शन से नाखुश हैं. पारस ने कहा कि उनका गुट भाजपा नीत राजग सरकार का हिस्सा बना रहेगा और पासवान भी संगठन का हिस्सा बने रह सकते हैं.