आज 31 अक्टूबर देश के इतिहास में ऐतिहासिक तारीख है. 36 वर्ष पहले 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी वहीं दूसरी ओर देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती भी है. आज देशवासी इंदिरा गांधी और वल्लभभाई पटेल को याद करते हुए श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में स्टेचू ऑफ यूनिटी जाकर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी. लेकिन आज बात हम जम्मू-कश्मीर को लेकर करेंगे. पिछले वर्ष 31 अक्टूबर को ही देश के इतिहास और भूगोल में परिवर्तन हुआ था. एक साल पहले आज के दिन जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनने से भारत के भूगोल और इतिहास में भी परिवर्तन हाे गए. इन दिनों जम्मू-कश्मीर में तिरंगा शान से लहरा रहा है.
देश के नक्शे से एक राज्य गायब हो गया. इसके साथ ही कश्मीर में कई कानून भी लागू हो गए. केंद्र की मोदी सरकार के 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही इसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई थी, जो 31 अक्टूबर को पूरी हुई.
केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर सहित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित घोषित करने वाला राजपत्र जारी कर दिया गया है. जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना है, साथ ही साथ इसका पुनर्गठन भी हो गया है. आज पूरा देश सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती भी बना रहा है.
पटेल की कई रियासतों को भारतीय गणराज्य में शामिल करवाने की मुख्य भूमिका थी
भारत की आजादी के बाद सरदार पटेल की कई रियासतों को भारतीय गणराज्य में शामिल करवाने में मुख्य भूमिका थी. राज्य के पुनर्गठन के प्रभाव में आने की तारीख 31 अक्टूबर रखी गई जो देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की जयंती का दिन है.
आजादी के वक्त 565 रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर एक मजबूत भारत बनाने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल के जन्मदिन पर जम्मू-कश्मीर का पुर्नजन्म ऐतिहासिक था. इसी के साथ राज्य में संसद के बने कई कानून लागू हो गए.
इसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश है. बता दें कि लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती है, जिनका जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कराने में अहम योगदान रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी से सरदार पटेल जयंती समारोह के दौरान देशवासियों को शुभकामनाएं दी.
एक साल बाद जम्मू-कश्मीर में तेजी से हो रहे हैं बदलाव
एक साल बाद जम्मू कश्मीर में तेजी के साथ बदलाव शुरू हो गए हैं. राजनीतिक गतिविधियां भी धीरे-धीरे शुरू होने लगी हैं. केंद्र सरकार ने भी घाटी में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद सामरिक ही नहीं प्रशासनिक मोर्चे को मजबूती मिली है.
प्रदेश में विकास की रफ्तार तेज होने के साथ भ्रष्टाचार पर भी नकेल कस दी गई है. निजाम बदलने के साथ एक साल के दौरान जम्मू-कश्मीर में 86 कानून खत्म हो गए हैं. केंद्र के कानून लागू हुए हैं. प्रदेश में पंद्रह साल रहने वालों को जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक बनने का हक देने और भूमि स्वामित्व कानून में बदलाव कर पूरे देश के लोगों के लिए जम्मू-कश्मीर के द्वार खोल दिए गए हैं.
नए भूमि कानून से नए उद्योगों का रास्ता भी साफ हो गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, पीपुल्स कांफ्रेंस प्रमुख सज्जाद गनी लोन, पीडीपी और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था.
इन सभी को धीरे धीरे रिहा किया गया. अब लगभग सभी प्रमुख नेता रिहा हो चुके हैं. हालांकि घाटी के कई नेताओं ने सभी दलों को एकजुट कर केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ा दी है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार