जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा है और उन्होंने मांग की है पीएम को इस संबंध में फैसला लेना चाहिए. खत के जरिए उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से एक तरफ मांग की तो दूसरी तरफ सियासी निशाना भी साधा.
तेजस्वी यादव कहते हैं कि सीएम नीतीश कुमार ने विपक्ष के नेताओं को भरोसा दिया है कि इस विषय पर वो पीएम के साथ बैठक करेंगे. इस संबंध में बिहार के सीएम ने पीएम को चार अगस्त को खत लिखकर समय मांगा था लेकिन मुलाकात के लिए समय नहीं मिला है. यदि पिछले एक हफ्ते में अगर मुलाकात के लिए समय नहीं मिला है तो यह सीएम का अपमान है.
तेजस्वी यादव अपने खत में लिखते हैं कि आज समय की मांग है कि जब इस विषय पर सरकार कोई सार्थक निर्णय ले. इसके साथ ही उन्होंने बिहार विधानसभा में 18 फरवरी 2019 और 27 फरवरी 2020 के उस पारित प्रस्ताव का जिक्र किया है जिसमें जातीय जनगणना कराए जाने पर सहमति बनी थी.
वो कहते हैं कि आज जब बिहार और केंद्र दोनों जगह एनडीए की सरकार है तो किसी तरह की अड़चन नहीं आनी चाहिए. इसके अलावा वो 2019 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह के उस वादे का जिक्र करते हैं जिसमें उन्होंने जातीय जनगणना पर सहमति जताई थी.
जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा है और उन्होंने मांग की है पीएम को इस संबंध में फैसला लेना चाहिए. खत के जरिए उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से एक तरफ मांग की तो दूसरी तरफ सियासी निशाना भी साधा. तेजस्वी यादव कहते हैं कि सीएम नीतीश कुमार ने विपक्ष के नेताओं को भरोसा दिया है कि इस विषय पर वो पीएम के साथ बैठक करेंगे. इस संबंध में बिहार के सीएम ने पीएम को चार अगस्त को खत लिखकर समय मांगा था लेकिन मुलाकात के लिए समय नहीं मिला है. यदि पिछले एक हफ्ते में अगर मुलाकात के लिए समय नहीं मिला है तो यह सीएम का अपमान है.
तेजस्वी यादव अपने खत में लिखते हैं कि आज समय की मांग है कि जब इस विषय पर सरकार कोई सार्थक निर्णय ले. इसके साथ ही उन्होंने बिहार विधानसभा में 18 फरवरी 2019 और 27 फरवरी 2020 के उस पारित प्रस्ताव का जिक्र किया है जिसमें जातीय जनगणना कराए जाने पर सहमति बनी थी.
वो कहते हैं कि आज जब बिहार और केंद्र दोनों जगह एनडीए की सरकार है तो किसी तरह की अड़चन नहीं आनी चाहिए. इसके अलावा वो 2019 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह के उस वादे का जिक्र करते हैं जिसमें उन्होंने जातीय जनगणना पर सहमति जताई थी.