मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि पर मालिकाना हक और वहां से शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग करते हुए मथुरा की अदालत में एक सिविल अर्जी दायर की गई है.
श्री कृष्ण विराजमान की ओर से दायर अर्जी को कोर्ट ने शुक्रवार को स्वीकार कर लिया.
यह अर्जी सुनवाई योग्य है कि नहीं कोर्ट इस पर 30 सितंबर को सुनवाई करेगा. 30 सितंबर की सुनवाई काफी अहम मानी जा रही है.
कोर्ट की तरफ से ईदगाह मस्जिद और सुन्नी वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी किया जाएगा.
एक समूह ने श्री कृष्ण विराजमान की तरफ से कोर्ट में अर्जी दायर कर श्री कृष्ण जन्मभूमि से अतिक्रमण हटाने और श्री कृष्ण जन्मभूमि की पूरी जमीन लौटाने की मांग की है.
वहीं, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि पर दावा किए जाने के बाद मुस्लिम धर्म गुरुओं ने विरोध जताया है.
बता दें कि अयोध्या मामले में राम लला विराजमान की ओर से 1989 में अदालत में सिविल मुकदमा दायर किया गया था.
इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2019 के अपने ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या केस में अपना निर्णय राम लला विराजमान के पक्ष में सुनाया.
कोर्ट में मुकदमा दायर करने के बाद वकील हरी शंकर जैन एवं विष्णु शंकर जैन ने टीओआई को बताया कि ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह की कथित प्रबंध कमेटी द्वारा अवैध रूप से बनाए गए ढांचे एवं अतिक्रमण को हटाने के लिए यह मुकदमा दायर किया गया है.
मथुरा की अदालत में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है.
कृष्ण जन्मभूमि का मामला कोर्ट में जाने पर बीजेपी नेता विनय कटियार ने कहा कि मथुरा और काशी को भी अयोध्या में राम जन्मभूमि के बाद मुक्त कराने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, यदि आवश्यक हुआ तो ईदगाह अतिक्रमण को हटाने और कृष्ण जनभूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए एक आंदोलन शुरू किया जाएगा.’
वहीं राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा, ‘सवाल हमारे देश का है, हमारे हिंदुस्तान का है.
हम तो हिंदू-मुसलमान का विवाद नहीं चाहते, लेकिन कुछ पार्टियां हैं जो ये चाहती हैं.
हिंदू और मुसलमाबन के बीच विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. बाबरी का मसला 50 सालों तक कोर्ट में रहा.
आज काशी-मथुरा की बात करने लगे. ये हिंदुस्तान की तरक्की को रोकना चाहते हैं. ये जाति और धर्म की राजनीति करने वाले देश की सोचें और हिंदू-मुसलमान न करें.’