कोरोना वायरस को हराने की रेस में वैक्सीन की खोज जारी है. हाल ही में एक खबर आई है कि ब्रिटेन में नागरिकों को फाइजर की वैक्सीन लगाए जाने की अनुमति मिल गई है. यहां अगले कुछ दिनों में नागरिकों को कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीन के डोज दिए जाएंगे.
खैर यह खबर ब्रिटेन के नागरिकों के लिए तो अच्छी है, लेकिन भारत पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों में भारत का नाम भी शामिल है. आइए जानते हैं कि क्या कारण हैं, जिसकी वजह से भारत के लिए फाइजर को मंजूरी मिलना कोई खास खबर नहीं है.
पहला, भारत में तापमान फाइजर के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगी. इस वैक्सीन को स्टॉक किए जाने के लिए -70 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि फाइजर का टीका एक बार अपनी जगह पर पहुंच गया है, तो उसे 5 दिन तक स्टोर किया जा सकता है. जबकि, एक्सपर्ट्स पहले ही भारत में तापमान को लेकर चिंता जता चुके हैं. उनका कहना है कि भारत में तापमान अलग है.
दूसरा, इस वैक्सीन को स्टॉक करना है. भारत को दुनिया के गर्म देशों में गिना जाता है और इस वैक्सीन को काफी ठंडे माहौल की जरूरत है. ऐसे में भारत में इस वैक्सीन को स्टोर करना भी बड़ी चुनौती है. भारत में जिन वैक्सीन को तैयार किया जा रहा है. उनके निर्माण में तापमान का ख्याल भी रखा गया है. यहां वैक्सीन पहुंचने के बाद इसे 5 दिन ठंडे तापमान में प्रिजर्व करना काफी मुश्किल सौदा होगा.
तीसरा, इस वैक्सीन की कीमत है. कोरोना से बचाव के लिए एक्सपर्ट्स दो डोज दिये जाने की बात कर रहे हैं. अब ऐसे समझिए कि ब्रिटेन में जनसंख्या 7 करोड़ भी नहीं है. जबकि, भारत में यह आंकड़ा 130 करोड़ से भी ज्यादा है. 130 करोड़ की आबादी को दो टीके लगाया जाना सरकार और मेडिकल अथॉरिटीज के लिए आसान काम नहीं होगा. वहीं, इससे उलट ब्रिटेन में 7 करोड़ लोगों को दो वैक्सीन के डोज देने के बाद भी सरकार पर आर्थिक बोझ ज्यादा नहीं पड़ेगा.
भारत में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या 95 लाख 36 हजार 320 पर पहुंच गई है. यहां अब तक 1 लाख 38 हजार 694 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. देश में फिलहाल 4 लाख 21 हजार 775 एक्टिव मामले हैं. यह आंकड़े कोविड19 इंडिया की वेबसाइट से लिए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा था कि भारत में फाइजर की वैक्सीन की जरूरत ही नहीं पड़े. उन्होंने बताया था कि देश में जारी वैक्सीन ट्रायल्स से अब तक अच्छे परिणाम मिले हैं.
साभार-न्यूज़ 18