14 मार्च दिन सोमवार को आमलकी एकादशी है. आमलकी एकादशी व्रत हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखते हैं. आमलकी एकादशी की तिथि 13 मार्च को सुबह 10:21 बजे लग रही है, यह 14 मार्च को दोपहर 12:05 बजे तक मान्य है.
आमलकी एकादशी व्रत वाले दिन सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर सर्वार्थ सिद्धि योग शुरु हो जाएगा. यह रात 10 बजकर 08 मिनट तक है. इस योग में पूजा और व्रत करने से कार्य सफल होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस मुहूर्त में आप आमलकी एकादशी की पूजा कर सकते हैं. आइए जानते हैं आमलकी एकादशी व्रत एवं पूजा विधि के बारे में.
आमलकी एकादशी व्रत एवं पूजा विधि
1. 14 मार्च को प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहन लें. उसके के बाद एक आंवले के पेड़ के नीचे साफ-सफाई करके पूजा का स्थान बनाएं.
2. आंवले के पेड़ के नीचे चौकी की स्थापना करें. उस पर भगवान परशुराम की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. आप चाहें तो भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को भी स्थापित कर सकते हैं. भगवान परशुराम श्रीहरि विष्णु के ही अवतार हैं.
3. अब आप हाथ में जल, फूल और अक्षत् लेकर आमलकी एकादशी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें. इसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत स्नान कराएं. फिर उनको वस्त्र, पीले फूल, फल, केला, तुलसी का पत्ता, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, चंदन, हल्दी, पान का पत्ती, सुपारी, आंवला आदि ओम भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्पित करें.
4. इसके पश्चात विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम, आमलकी एकादशी व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें. व्रत कथा का श्रवण या पाठ करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. पूजा के अंत में घी के दीपक से विधिपूर्वक भगवान विष्णु की आरती करें.
5. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें. आज के दिन आंवला खाने का विधान है. आमलकी एकादशी व्रत में आंवले के पेड़ और उसके फल की महत्ता है, इसलिए इसे आंवला एकादशी भी कहते हैं.