देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 1.85 लाख मामले सामने आए हैं. कोरोना संक्रमण से ग्रस्त लोगों में अलग-अलग तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
कोरोना संक्रमण ने नए लक्षणों, उसके इलाज को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं. एम्स ने कोरोना के इलाज को लेकर एक प्रोटोकॉल बनाया है. महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक इसमें छह से सात बार बदलाव किया जा चुका हैं.
जानते हैं कोरोना संक्रमण के लक्षण और इसके इलाज से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब.
कोरोना संक्रमण के शुरुआती लक्षण क्या हैं और इसका इलाज कैसे होता है?
कोरोना के शुरुआती लक्षणों में गले में खराश, खांसी, बिना सांस फूले बुखार आना शामिल है. बुजुर्ग और गंभीर बीमारी वाले लोगों के इलाज के लिए फिजिशियन आइवरमैक्टिन को प्रेस्क्राइब कर सकते हैं. हल्के लक्षण वाले पेशेंट्स पर स्टेरॉयड्स का यूज नहीं करना चाहिए.
क्या हल्के लक्षण वाले लोगों को अस्पताल में एडमिट करने की जरूरत है?
नहीं, हल्के लक्षण वाले लोगों को होम आइसोलेशन की सलाह दी जाती है. यदि उसे सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार, तेज खांसी और ऑक्सीजन का लेवल कम तो वह डॉक्टर से संपर्क कर सकता है.
रोगी को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत कब पड़ती है?
मध्यम लक्षण वाले रोगी, जिनका रेस्पिरेटरी रेट _>24/min से कम हो तो उसे अस्पताल में एडमिट करने के साथ ही ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती है. ऐसे रोगियों को एंटी वायरल थेरेपी, प्लाज्मा थेरेपी, एंटी इन्फ्लेमेटरी और इम्युनिटोमॉडिलेटरी थेरेपी दी जा सकती है. कुछ रोगियों में खून के थक्के जमने से रोकने के लिए दवाई देने की जरूरत भी पड़ सकती है.
किन रोगियों को वेंटिलेटर सपोर्ट, आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है?
जिन रोगियों का रेस्पिरेटरी रेट _>30/min हो तो उन्हें हाई फ्लो नेजल कैनुला के जरिये रेस्पीरेटरी सपोर्ट की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर या कन्वेशनल वेंटिलटर सपोर्ट पर रखा जा सकता है. यदि बीमारी 10-14 दिन से कम रहे तो एंटी-वायरल देने पर विचार किया जा सकता है.
प्लाज्मा थेरेपी की जरूरत कब पड़ती है?
कोरोना बीमारी की शुरुआत में जब रोगी को हल्के लक्षण होते हैं तब प्लाज्मा थेरेपी दी जा सकती है. इसके लिए एचटी प्लाज्मा की जरूरत होती है.
कोरोना पेशेंट्स को रेमडेसिविर कब दी जा सकती है?
एम्स प्रोटोकॉल के अनुसार मध्यम से गंभीर लक्षण वाले रोगियों को रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जा सकता है. हल्के लक्षण वाले रोगियों को रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं देने की सलाह दी जाती है.