यूपी, उत्तरखंड समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में महज कुछ दिन बाकी रह गये हैं. इन सभी राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है और 2022 की शुरूआत में यहां चुनाव होने हैं ऐसे में सभी पार्टियां आधी आबादी यानी महिलाएं को साधने में जुट गई हैं.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में कुल 14.61 करोड़ मतदाता हैं जिनमें महिला वोटरों की संख्या 6.70 करोड़ है. चुनाव के मद्देनजर कोई महिलाओं को सशक्त बनाने की बात कर रहा है तो कोई महिलाओं को राजनीति में ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी देने की बात.
देश के सबसे बड़ें सूबों में से एक है यूपी
यूपी की बात की जाए तो हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी महिला उम्मीदवारों को टिकट देगी. कांग्रेस ने यूपी की महिला वोटर्स को साधने के लिए एक नारा भी दिया ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ जिसे लेकर आजकल काफी चर्चा भी है.हालांकि ये अलग बात है कि कांग्रेस महिला वोटर्स को साधने में कितनी कामयाब रहती है.
चुनावी महासमर में सभी राजनीति पार्टियां महिला वोटर्स के मन को टटोलने की कोशिश कर रही हैं. महिला वोटरों को साइलेंट वोटर भी कहा जाता है जो बोलती तो कुछ नहीं हैं लेकिन अपना वोट चुपचाप डाल आती हैं. ये देखा जाता रहा है कि साइलेंट वोटर तमाम एग्जिट पोल को गलत साबित कर देती हैं. 5 राज्यों में होने जा रहे चुनाव को देखते हुए सबसे बड़ा सवाल ये है कि इन राज्यों में महिलाओं के मुद्दे क्या हैं?
सबसे पहले बात उत्तर प्रदेश की जहां महिला वोटर्स की बेहद निर्णायक भूमिका है, यहां महिलाएं किसी भी उम्मीदवार या पार्टी के लिए हार जीत तय करती हैं.उत्तर प्रदेश में देखें तो महिलाओं के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा उनकी सुरक्षा है और ये हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है. योगी सरकार लगातार यूपी में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने का दावा करती है तो वहीं विपक्ष महिला अत्याचार और उत्पीड़न को लेकर लगातार योगी सरकार से सवाल पूछता है. कांग्रेस, एसपी और बाकी विपक्षी पार्टियां हाथरस और उन्नाव कांड का जिक्र कर योगी सरकार के महिला सुरक्षा के दावों पर सवाल उठाती रही हैं.
यूपी में महिला सुरक्षा और महंगाई मुख्य मुद्दों में
महिला सुरक्षा के अलावा यूपी की महिला वोटर्स के लिए इस बार महंगाई भी बड़ा मुद्दा रहने वाला है.यूपी में ज्यादातर महिलाएं गृहणी हैं ऐसे में उनके लिए महंगाई भी बड़ा फैक्टर है वहीं इस बार के चुनाव में रोजगार का मुद्दा भी अहम रहने वाला है.यूपी में विधानसभा की 403 सीटें हैं जिनमें सबसे ज्यादा 35 सीटों पर बीजेपी की महिला विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के पास दो महिला विधायक, बीएसपी के पास भी दो जबकि एसपी के पास एक महिला विधायक और अपना दल के पास भी एक महिला विधायक हैं.
एक नजर पंजाब पर
वहीं पंजाब की बात की जाए तो यहां भी महिला वोटर्स की संख्या अच्छी-खासी है. पंजाब की महिलाओं का सबसे बड़ा मुद्दा ड्रग्स है. जिस तरीके से पंजाब में ड्रग्स का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है उससे यहां की महिलाएं चिंतित हैं. इसके अलावा महंगाई भी यहां बड़ा मुद्दा है.
उत्तराखंड में अलग अलग मुद्दों का जोर
उत्तराखंड में भी महिलाओं की अपनी अलग समस्याएं हैं. पहाड़ी बहुल राज्य होने के चलते यहां की भौगोलिक परिस्थितियां एक दम अलग हैं जो एक बड़ी आबादी को मुख्यधारा के विकास से दूर करता है. उत्तराखंड की महिलाओं को सबसे ज्यादा स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ता है. उत्तराखंड में आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां दूर-दूर तक कोई अस्पताल नहीं हैं.
इसके अलावा उत्तराखंड में पलायन बड़ी समस्या है. रोजगार नहीं होने की वजह से लोग बड़े शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं इनमें बड़ी संख्या बेटियों और महिलाओं की है.सभी राज्यों की महिला वोर्टर्स के लिए एक मुद्दा कॉमन है और वो है महिला सुरक्षा और रोजगार का. चुनावी राज्यों की सरकारें अपने दावों और वादों पर कितना खरा उतरी हैं, महिला वोटर्स मौजूद सरकारों के काम काज से कितना खुश हैं ये तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे.
साभार-टाइम्स नाउ