जानिए आरबीआई पॉलिसी की खास बातें, आम आदमी पर होगा सीधा असर

नई दिल्ली| भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल की अंतिम पॉलिसी का ऐलान कर दिया है. मुख्य ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरबीआई गवर्नर ने कई अहम ऐलान किए है. अब देशभर में आरटीजीएस सिस्टम 24 घंटे के लिए लागू हो जाएगा.

इससे सिस्टम में सेटलमेंट और डिफॉल्ट संबंधी जोखिम कम होंगे. अब देश में वित्तीय लेन-देन से संबंधित डिजिटल प्रक्रिया किसी भी दिन किसी भी समय की जा सकेगी.

इससे देश में सुरक्षित डिजिटल ट्रांजैक्शन किए जा सकेंगे. कांटेक्टलेस ट्रांजैक्शन के लिए लिमिट अब 2000 से बढ़ाकर 5000 रुपये की जा रही है. यह एक जनवरी से लागू होगा.

(1) देश की आर्थिक ग्रोथ में जोरदार तेजी की उम्मीद
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि कोरोना संकट से अब देश की अर्थव्यवस्था ऊबर चुकी है. अगली तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ निगेटिव से पॉजिटिव में लौटने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि आरबीआई ने अगली तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 0.10 फीसदी कर दिया है. वहीं, चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2021 के दौरान देश की जीडीपी ग्रोथ 0.70 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि, पूरे साल के लिए जीडीपी ग्रोथ -7.5 फीसदी रह सकती है. उन्होंने बताया कि भारतीय सरकार की ओर से जारी राहत पैकेज से आर्थिक ग्रोथ रिकवरी आई है.

(2) क्यों बढ़ेगी देश की आर्थिक ग्रोथ
महंगाई पर भी लगाम लगने की उम्मीद है. इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए तीसरी तिमाही में महंगाई दर 6.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.4 फीसदी रहने की उम्मीद है.इस पूरे देश साल में भारत की जीडीपी ग्रोथ – 7.5 फ़ीसदी रह सकती है. इस साल की दूसरी छमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट पॉजिटिव रह सकती है.

(3) आम आदमी को महंगाई से मिलेगी राहत
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति का अनुमान है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आने वाले दिनों में दवाब में रह सकता है. यह सितंबर और अक्टूबर में तेज रहा है खरीफ फसलों की बंपर उपज के साथ आने वाले महीने में महंगाई की दर कम हो सकती है. इसके साथ ही सब्जियों और दालों की महंगाई पर भी लगाम लगने की उम्मीद है. इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए तीसरी तिमाही में महंगाई दर 6.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.4 फीसदी रहने की उम्मीद है.

(4) नौकरियों को लेकर आरबीआई गवर्नर ने कहा
कोरोना संकट के इस दौर में सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं. हमारी कोशिश यह है कि हम भारत की जीडीपी ग्रोथ को बनाए रखते हुए रोजगार के मौके बनाने में सफल हुए हैं और देश की अर्थव्यवस्था को ग्रोथ के रास्ते पर ले जाने में कामयाब होंगे. देश के वित्तीय सेक्टर में स्थिरता लाने के लिए भी रिजर्व बैंक ने कई कोशिशें की है और इस वजह से शेयर बाजार और पूंजी बाजार पर इसका असर देखने को मिला है.

(5) भारतीय रिजर्व बैंक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को लेकर किया बड़ा ऐलान
भारतीय रिजर्व बैंक ने अब क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को एलएएफ और एमएएफ की सुविधा दी है. आपको बता दें कि आरआरबी बैंक का क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक होते है. इनका गठन आरआरबी अधिनियमन 1976 के तहत किया गया है. इनके गठन के पीछे मकसद छोटे किसानों, कृषि श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्र में कारीगरों को कर्ज और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराना था. इस कानून में 2015 में संशोधन किया गया. इसके तहत इन बैंकों को केंद्र, राज्य सरकारों और प्रायोजक बैंक के अलावा दूसरे स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई. मौजूदा समय में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है जबकि 35 प्रतिशत हिस्सेदारी संबंधित प्रायोजक बैंक की और 15 प्रतिशत राज्य सरकार की हिस्सेदारी है.

(6) बैंकों को इस साल नहीं देना होगा डिविडेंड
कोरोनावायरस के संकट के इस दौर में भारत की अर्थव्यवस्था और कर्ज लेने वाले लोगों की सुविधा के लिए रिजर्व बैंक ने कई प्रावधान किए हैं बैंक नए लोगों को कर्ज दे सके इसके लिए भी आरबीआई ने कई व्यवस्था की है कमर्शियल और कोऑपरेटिव बैंक अब पिछले साल की गई कमाई से डिविडेंड नहीं दे पाएंगे वह इस मुनाफे को अपने पास रखेंगे. नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां भी अपने निवेशकों और शेयरधारकों को डिविडेंड देती हैं इसके लिए रिजर्व बैंक ने एक ट्रांसपेरेंट प्रक्रिया शुरू की है.

(7) बदल गया आपके बैंक में पैसों के लेन-देन से जुड़ा नियम
अब देशभर में आरटीजीएस सिस्टम 24 घंटे के लिए लागू हो जाएगा. इससे सिस्टम में सेटलमेंट और डिफॉल्ट संबंधी जोखिम कम होंगे. अब देश में वित्तीय लेन-देन से संबंधित डिजिटल प्रक्रिया किसी भी दिन किसी भी समय की जा सकेगी. इससे देश में सुरक्षित डिजिटल ट्रांजैक्शन किए जा सकेंगे. कांटेक्टलेस ट्रांजैक्शन के लिए लिमिट अब ₹2000 से बढ़ाकर ₹5000 की जा रही है. यह एक जनवरी से लागू होगा.

(8) आर्थिक गतिविधियों में जोरदार तेजी की उम्मीद

निर्यात बढ़ाने और देश में कारोबार में आसानी के लिए भी रिजर्व बैंक ने कई कोशिशें की है, जिनका असर दिखना शुरू हो गया है. अब रिजर्व बैंक के निर्देश के बाद इस तरह के बैंक निर्यातकों के शिपिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर उन्हें फंड उपलब्ध कराने में मदद कर पाएंगे.

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