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कुतुब मीनार की ये बातें आप को कर देगी हैरान..

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अगर आप दिल्ली घूमने जा रहे हैं तो कुतुब मीनार देखना आपको बिल्कुल मिस नहीं करना चाहिए. यह ऐतिहासिक इमारत इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है.

ईंट की बनी यह दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है ज‍िसका न‍िर्माण 12वीं शताब्‍दी में हुआ था. कुतुब मीनार 73 मीटर ऊंची है और ऊपर तक पहुंचने के ल‍िए आपको 379 सीढ़‍ियां चढ़नी पड़ती हैं.

कुतुब मीनार की जानकारी-:

1-73 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, कुतुब मीनार दुनिया की सबसे ऊंची ईंट मीनार है. यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है.

2-इसे कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 12वीं सदी में आखिरी हिंदू साम्राज्य द्वारा शासन के अंत को चिह्नित करने के लिए बनाया गया. इसके साथ ही इसे इस शासनकाल का विक्ट्री टावर भी माना जाता है.

3-कुतुब मीनार को दिल्ली के तीन राजाओं द्वारा तीन चरणों में बनाया गया था (कुतुब-उद-दीन ऐबक ने अपने उत्तराधिकारी के बाद एक मंजिला बनाया, शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश ने तीन से ज्यादा मंजिलों का निर्माण किया और अंत में फिरोज शाह तुगलक ने आखिरी और पांचवीं मंजिल का निर्माण किया.) और अंत में ये 14वीं सदी में पूरा हुआ, शायद इसीलिए यह थोड़ा झुका हुआ (टिल्ट) लगता है.

4-मीनार के समान ही परिसर में बनी एक मस्जिद है, जिसे क्वावत-उल-इस्लाम कहा जाता है. हालांकि खंडहरों में, यह भारत में बनी हुई पहली मस्जिद है.

5-मीनार के अंदर 379 सीढ़ियां हैं जो टॉप पर पहुंचती हैं.

6-यह ई-टिकट की सुविधा देने वाला पहला भारतीय स्मारक भी है. इस शानदार मीनार को देखने के लिए एंट्री फीस 10 रुपये है.

7-यह मीनार नियत रूप से भारत की संपत्ति में से एक है, न केवल यह 16वीं सदी के भूकंप के नुकसान से बची है, बल्कि 14वीं सदी में दो बार बिजली गिरने से भी बची है.

8-19वीं सदी में, मीनार को छठी मंजिल से जोड़ा गया था, जिसका नाम कपोला था. ये देखने में बेहद आकर्षक लगती है. आप भी इसे देख सकते हैं.

9-परिसर में 2,000 साल पुराना एक आइरन पिलर है, जिस परअभी तक जंग नहीं लगी है.

10-कुतुब मीनार परिसर में आधा दर्जन से अधिक अन्य छोटे स्मारक हैं, जिनमें मस्जिद, मकबरे और स्तंभ मौजूद हैं.

11-14वीं सदी में, अलाउद्दीन खिलजी ने एक और लंबा, और अधिक सुंदर मीनार बनाया. हालांकि, उनकी मृत्यु के तुरंत बाद निर्माण बंद हो गया. आज जो बचता है वह इच्छित मीनार के एक स्टब जैसा दिखता है.

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