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भारत में रेडियो के सफर की कुछ इस तरह हुई थी शुरुआत

बता दें कि निजी ट्रांसमीटरों द्वारा 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब ने प्रसारण आरंभ किया गया, पर उसने तीन वर्ष में ही दम तोड़ दिया. 1927 में स्थापित रेडियो क्लब बॉम्बे भी 1930 में आखिरी सांस ले कर मौन हो गया. 1936 में ‘इंपीरियल रेडियो ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई जो आजादी के बाद ‘ऑल इंडिया रेडियो’ के नाम से विख्यात हुआ.

भारत की आजादी की लड़ाई में भी रेडियो एक अहम हिस्सा रहा है. 1957 को ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर ‘आकाशवाणी’ कर दिया. रेडियो एक जमाने में तेज संचार यानि सूचना के आदान प्रदान का प्रमुख साधन बन गया था.

पहले टेलीग्राफ के जरिए ही सूचनाओं का आदान प्रदान के लिए एक प्रमुख जरिया था, यहां तक कि दूर दूर देशों में खबरों को पहुंचाने का काम तार द्वारा ही किया जाता था. लेकिन रेडियो ने संचार क्रांति ला दी. रेडियो के जरिए ऐसी जगहों पर ही सूचनाएं और खबरें पहुंच सकती हैं जहां सोचा भी नहीं जा सकता था.

आकाशवाणी 27 भाषाओं में शैक्षिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक, खेलकूद, युवा, बाल एवं महिला तथा कृषि एवं पर्यावरण संबंधी प्रस्तुतियों से संपूर्ण देश को एकता के सूत्र में पिरोने की बड़ी भूमिका रही. 2 अक्टूबर, 1957 को स्थापित ‘विविध भारती’ ने 1967 से व्यावसायिक रेडियो प्रसारण शुरू कर नए युग में प्रवेश किया. आजादी के समय भारत में 6 रेडियो स्टेशन थे. आज भारत में 250 से अधिक रेडियो स्टेशन 99 प्रतिशत आबादी से आत्मीय रिश्ता जोड़े हुए हैं.

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