बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक के बाद पौड़ी गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत को पार्टी ने नया चेहरा चुना है. तमाम राजनीतिक चर्चाओं को धता बता तीरथ सिंह रावत को बीजेपी ने नया मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया है. पार्टी पर्यवेक्षकों रमन सिंह, दुष्यंत गौतम और रेखा वर्मा की मौजूदगी में तीरथ सिंह रावत के नाम पर अंतिम मुहर लगी. निवर्तमान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बैठक के बाद तीरथ सिंह रावत के नाम का ऐलान किया.
किसी गुट का न होना तीरथ सिंह रावत के पक्ष में
तीरथ सिंह रावत को वैसे तो एक दौर में पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी का बेहद करीबी माना जाता था. उन्हें खंडूरी का राजनीतिक शिष्य भी कहा जाता था, लेकिन इसके बावजूद तीरथ पार्टी के किसी गुट में नहीं रहे. बेहद सौम्य स्वभाव के तीरथ सिंह का किसी गुट में न होना उनके पक्ष में गया. तीरथ को बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी का करीबी भी माना जाता है. साथ ही निवर्तमान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद किसी राजपूत को भी मुख्यमंत्री बनाने का जो दबाव पार्टी पर था वो भी अब दूर हुआ.
इन नामों के बीच आया तीरथ का नाम
उत्तराखंड के सीएम की रेस में बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और प्रवक्ता अनिल बलूनी, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, मंत्री धन सिंह रावत, सतपाल महाराज और सांसद अजय भट्ट का नाम लगातार चर्चा में रहा, जबकि तीरथ सिंह रावत को लेकर कोई चर्चा नहीं थी, लेकिन बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक के बाद अचानक तीरथ सिंह रावत का नाम सामने आ गया. जिससे हर कोई हैरान है.
तीरथ सिंह रावत का रहा है लंबा राजनीतिक अनुभव
उत्तराखंड के होने वाले नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. वो साल 2013 से 2015 तक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे. इसके साथ ही चौबट्टाखाल से 2012 से 2017 के बीच गढ़वाल की चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक रहे हैं. साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस से उनका पुराना नाता रहा है. वो विद्यार्थी परिषद के जरिए छात्र राजनीति में सक्रिय रहे. 1983 से 1988 के बीच तीरथ सिंह रावत आरएसएस संगठन में सक्रिय रहे.
तीरथ सिंह रावत की सक्रिय राजनीति में इंट्री साल 1997 में हुई. तीरथ सिंह रावत साल 1997 में पहली बात उत्तर-प्रदेश परिषद के सदस्य बने. उत्तराखंड बनने के बाद नित्यानंद स्वामी सरकार में वो पहली सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री रहे. हालांकि इसके बाद उन्हें कई हारों का सामना करना पड़ा. हालांकि इस दौरान वो पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर रहे, लेकिन 2012 में वो चौबट्टाखाल से विधायक बने और 2013 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें विधायक का टिकट नहीं दिया गया, लेकिन 2019 में उन्हें बीजेपी ने पौड़ी गढ़वाल से सांसद का टिकट दे दिया और वो कांग्रेस उम्मीदवार मनीष खंडूरी को हराकर संसद में पहुंच गए. तीरथ सिंह रावत साल 2019 लोकसभा चुनाव में हिमाचल के प्रभारी भी रहे.
साभार न्यूज़ 18