8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है. इस दिन हर जगह, हर कोई महिलाओं की बात करता है, उनके हितों की बात करता है और उन्हें हर मामले में समान अधिकार मिले इसका पक्षधर होता है.
इसमें हम कई बार सफल तो ज्यादातर मौकों पर असफल होते हैं. राजनीति भी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां महिलाओं की भागीदारी बहुत सीमित है. खासकर महिलाएं उस पायदान तक कम ही पहुंच पाती हैं, जहां उनके पास फैसले करने की ताकत अधिकतम हो.
वो अपने हिसाब से बदलाव ला पाएं. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि हमारे देश को आजाद हुए 75 साल होने वाले हैं, लेकिन महिला प्रधानमंत्री अभी तक एक ही रही हैं. कई राज्यों में महिलाएं मुख्यमंत्री बनीं है, लेकिन उन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है. यहां हम उन 10 प्रभावशाली महिलाओं की बात करेंगे, जिन्होंने देश की राजनीति में बड़ा योगदान दिया या उनका प्रभाव रहा.
1) इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी देश की पहली और अभी तक इकलौती महिला प्रधानमंत्री हैं. वह 1966 से 1977 तक और फिर 1980 से 1984 तक देश की प्रधानमंत्री रहीं. वह देश के पहले प्राइम मिनिस्टर जवाहर लाल नेहरू की बेटी थी, शायद इस वजह से उनकी राजनीति में एंट्री आसान भी रही. उन्हें उनके कई बहादुरी भरे फैसलों और कुछ विवादित कामों के लिए भी याद किया जाता है. लेकिन राजनीति में उनके योगदान को नहीं भुलाया जा सकता.
2) सोनिया गांधी
वर्तमान में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी राजनीति में अहम योगदान है. इंदिरा गांधी के बाद वो दूसरी महिला हो सकती थीं जो इस देश की प्रधानमंत्री बनतीं. लेकिन कई कारणों से उन्होंने इस पद को न ग्रहण करने का फैसला किया और 2004 में डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर खुद को सत्ता से दूर रखा. हालांकि उनके बारे में कहा जाता है कि इस दौरान सत्ता की कमान उन्हीं के हाथों में रही. सोनिया 1998 से 2017 तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं और बाद में जब 2019 लोकसभा चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी ने पार्टी की कमान संभालने से इनकार कर दिया तो फिर से सोनिया ही आगे आईं.
3) सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता थीं. 2014 में जब मोदी सरकार बनीं तो उन्हें बेहद अहम और बड़े विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. उन्होंने विदेश मंत्री रहते हुए जिस तरीके से आम जनता के लिए काम किया, उसकी हर तरफ सराहना हुई. इससे पहले विपक्ष में रहते हुए वो एक मुखर आवाज थीं. वो किसी भी मुद्दे पर अपनी पार्टी का पक्ष बेहद मजबूती से रखती थीं.
4) शीला दीक्षित
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का भी राजनीति में अहम स्थान है. वो लंबे समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं और दिल्ली में हुए विकास के लिए उनके योगदान को हर कोई याद रखता है. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने दिल्ली में लगातार 3 चुनाव जीते. आज उनके बिना दिल्ली कांग्रेस बेहद कमजोर हो गई है.
5) मायावती
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती देश की राजनीति में एक बड़ी दलित नेता के रूप में उभरीं. उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनका खासा दखल है. उनके कार्यकाल को कई अच्छे कामों और कुछ विवादित कामों के लिए याद किया जाता है.
6) जयललिता
तमिलनाडु की राजनीति के कई बड़े नामों में से एक नाम जयललिता भी है. उन्होंने कई मौकों पर राज्य की कमान संभाली. 2016 विधानसभा चुनाव में भी वह जीतकर आईं और मुख्यमंत्री बनीं, हालांकि कुछ समय बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और इसी साल के अंत में उनका निधन हो गया. उनके दल में ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में आज भी उनकी कमी महसूस की जाती है.
7) ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी काफी संघर्ष के बाद राज्य की सत्ता के शिखर पर पहुंचीं. पिछले 10 साल से उनके हाथों में राज्य की कमान है. वह इस समय विपक्ष की एक मजबूत नेता के रूप में उभरी हैं.
8) महबूबा मुफ्ती
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बेहद मुश्किल प्रदेश की कमान संभाली. वो राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. वह संसद सदस्य भी रही हैं.
9) वसुंधरा राजे
भारतीय जनता पार्टी की नेता वसुंधरा राजे 2 बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रही हैं. वह 2003 से 2008 और फिर 2013 से 2018 तक प्रदेश की सीएम रही हैं. वह पार्टी की काफी सीनियर नेता है.
10) प्रतिभा सिंह पाटिल
प्रतिभा सिंह पाटिल 2007 से 2012 तक देश की राष्ट्रपति रहीं. वह पहली महिला और अभी तक इकलौती महिला राष्ट्रपति हैं. उससे पहले वह राजस्थान की राज्यपाल भी रहीं.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: सियासत में नारी शक्ति की प्रतीक हैं ये 10 नामी चेहरे
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