तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर शनिवार सुबह से ही सियासी गलियारों में जबरदस्त अटकलें थी. इस बार इतने दावेदार थे कि सियासत के जानकार भी तय नहीं कर पा रहे थे कि अगला ‘ताज’ किसके सर पर सजाया जाएगा.
सभी अपने अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने के लिए ‘निगाहें’ लगाए हुए थे. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद अजय भट्ट, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, पुष्कर सिंह धामी के नामों पर चर्चा चल रही थी. लेकिन कोई नहीं जानता था की दिल्ली दरबार में कौन सा नाम तय हुआ है.
एक बार फिर से भाजपा हाईकमान ने ‘चौंकाते’ हुए पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का नया ‘नायक’ बना दिया. उत्तराखंड को 2017 विधानसभा चुनाव के बाद तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी नया ‘चेहरा’ देखने को मिला है. वैसे तो इस रेस में कई नाम थे, लेकिन बीजेपी आलाकमान ने पुष्कर सिंह धामी के नाम पर ‘मुहर’ लगा कर सबको ‘हैरान’ कर दिया है. इसी के साथ तीरथ सिंह रावत का ‘युग’ इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.
देवभूमि में आज से पुष्कर सिंह धामी का शासन शुरू हो गया . दोपहर बाद राजभवन पहुंचे पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया . रविवार शाम 5 बजे धामी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. बता दें कि धामी ‘ठाकुर समाज’ से आते हैं.
‘भाजपा हाईकमान ने युवाओं को आकर्षित करने के लिए धामी पर ‘मिशन 22′ का दांव खेला है’. पुष्कर उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले की खटीमा विधानसभा से विधायक हैं. उनका जन्म 16 सितंबर 1975 को पिथौरागढ़ के टुंडी गांव में हुआ था. पिता सैनिक थे. वे बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं.
धामी कॉलेज के दिनों में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे. बता दें कि पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री होंगे. बता दें कि भाजपा प्रदेश मुख्यालय में विधायक दल की बैठक के लिए विधायक और पार्टी नेता दोपहर 12 बजे से ही जुटना शुरू हो गए थे. पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय मंत्री एनएस तोमर, राष्ट्रीय महासचिव डी पुरंदेश्वरी के साथ प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम प्रदेश मुख्यालय पहुंचे.
प्रदेश मुख्यालय में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में धामी को ‘नया नेता’ चुना गया. पुष्कर सिंह धामी के नाम का एलान खुद पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने किया. शनिवार दोपहर तीन बजे भाजपा प्रदेश मुख्यालय में हुई विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगी. धामी के नाम पर रखे गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. धामी, तीरथ सिंह रावत का स्थान लेंगे.
वह उत्तराखंड में अब तक के सबसे कम उम्र (45 साल) के मुख्यमंत्री बनेंगे. उत्तराखंड भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘मेरी पार्टी ने एक सामान्य से कार्यकर्ता को सेवा का अवसर दिया है . जनता के मुद्दों पर हम सबका सहयोग लेकर काम करेंगे . आइए उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री धामी के निजी जीवन और राजनीतिक करियर के बारे में जान लेते हैं.
नए मुख्यमंत्री धामी राजपूत समाज से हैं और तेजतर्रार युवा माने जाते हैं
धामी मास्टर डिग्री हैं. वे 1990 से 1999 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम कर चुके हैं. वे 2002 से 2008 तक युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे . राज्य की भाजपा 2010 से 2012 तक शहरी विकास परिषद के उपाध्यक्ष थे. पुष्कर सिंह धामी 2012 में पहली बार खटीमा सीट से विधायक बने. उन्होंने तब कांग्रेस के देवेंद्र चंद को करीब 5 हजार वोटों से अंतर से हराया था.
2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में धामी ने खटीमा से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस के भुवन चंद्र कापड़ी को 3 हजार से कम अंतर से हराया था . ‘इस बार भाजपा ने कई अनुभवी विधायकों को दरकिनार करते हुए युवा चेहरे को तवज्जो दी है’. यहां हम आपको बता दें कि भाजपा हाईकमान ने अगले वर्ष होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में युवाओं को आकर्षित करने के लिए पुष्कर के नाम को प्राथमिकता दी.
राजपूत समुदाय से आने वाले धामी राज्य के ‘तेज तर्रार’ नेताओं में शुमार हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाकर ‘जातीय समीकरण’ भी साधने की कोशिश की गई है. पुष्कर सिंह धामी राज्य के और मुख्यमंत्रियों के मुकाबले युवा हैं. धामी का युवा होना भी उनके मुख्यमंत्री चुने जाने के ‘पक्ष’ में गया है. धामी को संघ का करीबी माना जाता है.
वे महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के भी नजदीकी हैं. पुष्कर के बारे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह एक ऐसा नाम है जो हमेशा विवादों से दूर रहा है. वे ‘भ्रष्टाचार’ जैसे मुद्दे पर उठाते रहे हैं. युवाओं के बीच पुष्कर सिंह धामी की अच्छी ‘पकड़’ मानी जाती है. लेकिन अब उत्तराखंड विधानसभा चुनाव होने में 7 महीने का समय रह गया है, ऐसे में नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए कई चुनौतियां भी सामने होंगी. इसके साथ उन्हें चुनाव से पहले पार्टी और अपने मंत्रिमंडल में सामंजस्य भी बैठाना होगा.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार