एक अप्रैल को हम अप्रैल फूल के रूप में क्यों मनाते आए हैं, इसका कोई ठोस सबूत नहीं है. ये अब भी एक रहस्य है. लेकिन दुनियाभर में इसे लेकर अलग-अलग कहानियां और कारण बताए जाते हैं, वह इस प्रकार हैं.
अप्रैल फूल मनाने की परंपरा फ्रांस में राजा के एक अजीबोगरीब फैसले से शुरू हुई थी. साल 1582 में यूरोप के राजा पॉप ग्रेगरी 13 ने जनता को आदेश दिया कि यूरोपियन देश को जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार चलेगा.
इससे बहुत बड़ा फेरबदल हो गया. जनता ही नहीं राजा और प्रशासन के लिए भी नया साल पूरे तीन माह देर से आने लगा. जनता को एक जनवरी को ही नया साल मनाने की आदत थी और इसके चलते जनता के बीच विरोध प्रदर्शन हुआ और जनता के एक दूसरे के बीच ही राजा का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया. लोग एक दूसरे को राजा बताकर उसके साथ प्रैंक करते, और इससे ही अप्रैल फूल मनाने की परंपरा शुरू हो गई.
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय की एनी से सगाई के कारण अप्रैल फूल डे मनाया जाता है. सगाई की तारीख 32 मार्च, 1381 को होने की घोषणा होती है. इस खबर को सुनकर कस्बे के लोग सही मानकर मूर्ख बन जाते हैं. इस पूरे वाकये का जिक्र ज्यॉफ्री सॉसर्स ने अपनी किताब केंटरबरी टेल्स में किया है.
जिसे कई लोगों ने मानने से इंकार कर दिया, लेकिन नया साल एक अप्रैल को मनाया जाने लगा. फर्स्ट अप्रैल भारत में भी काफी लोकप्रिय है . स्कूल, कॉलेजों और ऑफिसों में लोग एक दूसरे के साथ मजाक और शरारतें करते हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार