हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है. गंगा दशहरा 9 जून गुरुवार को पड़ रही है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी पर ऋषि भागीरथी के अथक प्रयासों से मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था.
तभी से, प्रत्येक वर्ष के ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मां गंगा की पूजा करने और गंगा में स्नान करने से सारे पाप कर्मों का नाश होता है.
जो भी व्यक्ति विधि-विधान अनुसार किसी भी पवित्र नदी या कुंड में स्नान कर अपनी श्रद्धा अनुसार दान करता है, उसे न केवल अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि उसे कई महायज्ञों के समान पुण्य भी प्राप्त होता है. लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी को देखते हुए गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान कदापि ना करें. आइए जानते हैं गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त
इस बार 9 जून को सुबह 8:21 बजे दशमी शुरू होगी और इस दिन ही गंगा दशहरा मनाया जाएगा. जो कि 10 जून को शाम 7:25 बजे तक जारी रहेगा. खास बात है कि इस बार गंगा दशहरा के दिन हस्त नक्षत्र और व्यतीपात योग भी रहेगा. इसलिए इस दिन दान करने का महत्व और भी बढ़ जाता है.
गंगा दशहरा की पूजा विधि:
कोरोना काल में गंगा दशहरा मनाने के लिए गंगा तट पर ना जाएं. इस स्थिति में घर पर रहकर ही मां गंगा की पूजा अर्चना कर सकते हैं. सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को प्रणाम का स्नान करें. स्नान के पानी में गंगा जल एक चम्मच मिला लें. यदि गंगा जल घर में ना हो तो मन ही मन मां गंगा को स्मरण करें.
स्नान करते हुए मां गंगा को प्रणाम करें. इसके बाद पूजा घर में आकर मां गंगा को प्रणाम करें और आरती गाएं. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, ऋषि भगीरथ ने अपने पूर्वजों को जन्म मरण के बंधन से मुक्ति दिलाने के लिए कड़ी तपस्या की.
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने भगवान शिव की जटा से धरती पर आना स्वीकार किया. लेकिन वो इतनी तीव्र गति से आईं कि धरती को पार करते हुए सीधे पाताल लोक में पहुंच गईं. इसलिए धरतीवासियों ने भगवान से विनती की. तब कहीं जाकर मां गंगा धरती पर वापस आईं.