उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में प्रदेश के दिग्गज नेता जुट गए है. जिसका असर दिल्ली तक देखने को मिल रहा है. सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के दलबदल का दौर शुरू हो चुका है.
उत्तराखंड की चौबट्टाखाल विधानसभा सीट प्रदेश की महत्वपूर्ण सीट है. इस सीट पर 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. वहीं आगामी चुनाव में भाजपा पर इसे बचाने और कांग्रेस पर इसे जीतने का बड़ा दबाव होगा. देखना होगा की 2022 में किस दल को यहां की जनता का आशीर्वाद मिलेगा.
चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. गढ़वाल जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है. जो 2008 के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश से अस्तित्व में आया था.
कांग्रेस से बगावत करके भाजपा में शामिल हुए विधायक सतपाल महाराज का चौबट्टाखाल गृह क्षेत्र भी है. उन्हें भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और तीरथ सिंह रावत की जगह उम्मीदवार बनाया गया था. तीरथ सिंह रावत की चौबट्टाखाल विधानसभा परंपरागत सीट रही है. लेकिन मौजूदा समय में चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज विधायक हैं.
क्या रहा जीत-हार का अंतर
विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा से सतपाल महाराज 20921 मतों के साथ कांग्रेस के राजपाल सिंह बिष्ट को हराकर जीत दर्ज किया. सतपाल महाराज 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा का दामन थाम लिया था.
दलबदल और टिकट कटने से भाजपा में पनपी अंदरुनी गुटबाजी सतपाल महाराज के सामने बड़ी चुनौती रही. हालांकि यहां से पूर्व में दो बार उनकी पत्नी अमृता रावत राज्य विधानसभा का चुनाव जीती थी. वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में तीरथ सिंह इस क्षेत्र के विधायक चुने गए थे.
गढवाल लोकसभा
चौबट्टाखाल विधानसभा सीट गढ़वाल लोकसभा के अंतर्गत आती है. इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत सांसद है. उन्होंने कांग्रेस के मनीष खंडूरी को 302669 से हराया था.