देश की पहली स्वदेशी एंटी कोविड-19 दवा 2 डेओक्सी डी ग्लूकोज अथवा 2 डीजी (2-deoxy-D-glucose or ‘2-DG’) सोमवार को लॉन्च हो गई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस दवा को लॉन्च किया. इस दवा को कोरोना संक्रमण के इलाज में कारगर बताया जा रहा है.
दावा किया गया है कि इस दवा से कोरोना के मरीज करीब 2.5 दिन पहले ठीक हुए हैं और ऑक्सीजन पर उनकी निर्भरता कम हुई है. कहा यह भी जा रहा है कि ‘2 डीजी’ दवा कोरोना वायरस के संक्रमण को शरीर में फैलने से रोकती है. इस दवा के नतीजों ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को उम्मीद की लहर दी है.
राजनाथ सिंह, हर्षवर्धन ने दवा को लॉन्च किया
इस दवा को लॉन्च करते समय राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘2 डीजी’ आशा और उम्मीद की एक नई किरण लेकर आई है. यह दवा हमारे देश के वैज्ञानिकों की वैज्ञानिक क्षमता की एक मिसाल है. रक्षा मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में अपने एक बयान में कहा, ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइंसेज (INMAS) ने हैदराबाद स्थित डॉक्टर रेड्डी की प्रयोगशाला (DRL) के साथ मिलकर इस 2 डीजी दवा को विकसित किया है.’
कैसे काम करती है यह दवा
‘2 डीजी’ की दवा पाउडर के रूप में है. यह ओआरएल घोल की तरह पैकेट में आ रही है. सरकार के बयान के मुताबिक यह दवा अपने क्लिनिकल ट्रायल में कोरोना मरीजों को जल्द ठीक करने में उपयोगी पाई गई है. इसके अलावा यह दवा कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता कम करती है. परीक्षण में पाया गया है कि यह दवा मरीज के शरीर में वायरस को बढ़ने से रोकती है. वायरस से संक्रमित कोशिकाओं पर यह दवा अपना प्रभाव डालती है. वायरस को शरीर में बढ़ने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है जबकि यह दवा वायरस को ऊर्जा हासिल करने से रोकती है.
शरीर में ग्लूकोज की तरह फैलती है 2 डीजी
बयान में कहा गया कि कोविड-19 मरीजों के उपचार में यह दवा काफी कारगर साबित होगी. यह दवा शरीर में ग्लूकोज की तरह फैलती है. शरीर में संक्रमित कोशिकाओं तक पहुंचने के बाद यह दवा वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने से रोकने के साथ-साथ उसके प्रोटीन ऊर्जा के उत्पादन को रोकती है. 2 डीजी दवा फेफड़े तक फैले संक्रमण को काबू में करने में भी असरदार पाई गई है. इस दवा के लेने के बाद मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता कम पाई गई है.
पाउडर के रूप में है यह दवा
डीआरडीओ का कहना है कि 2 डीजी दवा का उत्पादन भारत में आसानी से और प्रचुर मात्रा में हो सकता है. क्योंकि इस दवा को बनाने में ज्यादा जटिलताएं नहीं हैं. पाउडर के रूप में होने के कारण यह आसानी से पानी में घुल जाती है. इसके बाद इसे पीना आसान है. डीआरडीओ के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर एवं 2 डीजी के वैज्ञानिक डॉ. सुधीर चंदना के मुताबिक इस दवा को पांच से सात दिनों तक दिन में दो बार लिया जा सकता. फिर भी इसे लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है.
दवा की कीमत अभी तय नहीं
भारत में इस दवा की कीमत के बारे में अभी कुछ नहीं कहा गया है. बताया जाता है कि डीआरडीओ की साझीदार डॉ. रेड्डी की प्रयोगशाला इस दवा की कीमत तय करेगी. डॉ. रेड्डी की प्रयोगशाला ही इस दवा का निर्माण कर रही है. लेकिन माना जा रहा है कि यह एक सस्ती दवा होगी. अप्रैल 2020 में पहली बार डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस दवा का परीक्षण करना शुरू किया.