कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब के नए मुख्यमंत्री के तौर पर चुना है. वो आज शपथ लेंगे. 58 साल के चन्नी को सीएम बनाकर कांग्रेस ने हर किसी को हैरान कर दिया है. चन्नी को कैप्टेन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे देने के बाद पंजाब का सीएम चुना
कैप्टन मंत्रिमंडल में वो टेक्निकल एजुकेशन और इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग मंत्री थे. चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे. इससे पहले पंजाब में सीएम के पद पर हमेशा ही जाट सिख का बोलबाला रहा है. सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले चन्नी पर ही क्यों दांव खेला है.
पंजाब में अगले साल फरवरी में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि जनवरी से ही वहां आचार संहिता लागू कर दिया जाएगा. यानी नए सीएम के पास काम करने का ज्यादा से ज्यादा तीन महीने का वक्त होगा. आईए एक नज़र डालते हैं उन पांच वजहों पर जिसके चलते चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया गया है.
1.दलित फैक्टर
देश में सबसे ज्यादा दलितों की संख्या पंजाब में ही है. यहां 32 फीसदी दलित रहते हैं. कुछ रिसर्च करने वालों का कहना है कि नई जनगणना आने के बाद राज्य में दलितों की संख्या 38 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. पंजाब में वैसे तो जाट सिखों की आबादी केवल 25 प्रतिशत है, लेकिन उन्होंने राज्य में पारंपरिक रूप से राजनीतिक सत्ता पर एकाधिकार कर लिया है. कांग्रेस के पास 20 दलित विधायक हैं. 117 सदस्यीय विधानसभा में 36 आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र हैं – उनमें से केवल तीन को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. बता दें कि राज्य में दलित सीएम की लंबे समय से मांग थी.
2.विपक्ष को रोकने का सबसे बड़ा हथियार
इस बार के चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने गठबंधन किया है. इन दोनों दलों में बड़ी संख्या में दलित नेता हैं. इसके अलावा दलित विधायकों के वर्चस्व वाली आम आदमी पार्टी सत्ता में आने पर दलित उपमुख्यमंत्री का वादा कर रही हैं. बीएसपी और अकाली भी लगातार दलितों को मौका देने की बात कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अब कांग्रेस को भी दलितों का समर्थन मिल सकता है.
3. सिख चेहरा
चरणजीत सिंह चन्नी न सिर्फ दलित हैं बल्कि वो सिख भी हैं. कांग्रेस की दिग्गज नेता अंबिका सोनी ने पहले पीपीसीसी के पूर्व प्रमुख सुनील कुमार जाखड़ को मुख्यमंत्री के रूप में चुनने के प्रस्ताव को ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि एक पंजाबी सूबा (राज्य) में हिंदू सीएम नहीं हो सकता. उनकी उम्मीदवारी का विरोध करते हुए, जेल और सहकारिता मंत्री सुखविंदर सिंह रंधावा ने भी कहा था कि अगर वो एक गैर-सिख को सीएम बनने की अनुमति देते हैं, तो वो भावी पीढ़ी का सामना नहीं कर पाएंगे. लेकिन चन्नी के नेतृत्व में, ऐसा कोई डर नहीं है.
4. चालाक राजनेता
अपनी राजनीतिक सूझबूझ के लिए जाने जाने वाले चन्नी पार्टी में विरोधी खेमे से बातचीत करने में सक्षम होंगे. वो उन तीन मंत्रियों के करीबी हैं, जिन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था. ऐसे में अमरिंदर सिंह के लिए किसी दलित को निशाना बनाना मुश्किल हरोगा.
5. जनता के साथ जुड़ाव
चरणजीत सिंह चन्नी के बारे में कहा जाता है कि वो एक ज़मीन से जुड़े नेता है. एक छात्र नेता के तौर पर उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. तकनीकी शिक्षा मंत्री के तौर पर वो खासे लोकप्रिय रहे थे. उन्होंने युवाओं को रोजगार देने के लिए रोजगार मेलों का आयोजन करवाया. नए कॉलेज और केंद्र खोलने के पीछे भी लगातार लगे रहे. पार्टी को उम्मीद है कि वो एक ऐसे राज्य में नौकरी और शिक्षा देने में सक्षम होंगे, जहां युवाओं का पलायन हो रहा है.