पीएम मोदी द्वारा तीन विवादित कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बाद भी किसान संतुष्ट नहीं हैं. केंद्र सरकार द्वारा बीते साल मानसून सत्र में पास किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर लगभग 1 साल से धरनारत किसानों ने मांग की है कि सरकार एमएसपी पर भी बात करे.
बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने तीनों कानून वापस लेने के संदर्भ में कहा- ‘सरकार ने घोषणा की है तो वह प्रस्ताव ला सकते हैं लेकिन एमएसपी और 700 किसानों की मृत्यु भी हमारा मुद्दा है.’
टिकैत ने कहा कि सरकार को इस पर भी बात करनी चाहिए. उन्होंने सरकार को इन मुद्दों पर बात करने की नई डेडलाइन देते हुए कहा कि सरकार 26 जनवरी से पहले तक अगर बात मान लेगी तो हम चले जाएंगे.
वहीं पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों के बारे में भाकियू नेता ने कहा कि इस मुद्दे पर हम आचार संहिता लागू होने के बाद बात करेंगे.
टिकैत का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब केंद्र सरकार आज कैबिनेट में तीनों कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव पेश करेगी.
एक अंग्रेजी अख़बार में की गई रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह कहा गया है कि पीएम आवास पर बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में तीनों कृषि कानूनों कोवापस लेने से संबंधित बिल को कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखा जा सकता है.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने प्रधानमंत्री कार्यालय से परामर्श के बाद इस विधेयक को अंतिम रूप दिया है. सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर लोकसभा में इस बिल को रख सकते हैं.
इससे पहले टिकैत ने सोमवार को सरकार पर किसानों को बांटने की कोशिशकरने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उसे किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए उनसे बात करनी चाहिए, वरना, ‘हम कहीं नहीं जा रहे हैं.’
टिकैत ने कहा था कि किसानों को मोदी सरकार को यह समझाने में एक साल लग गया कि उसके तीन कृषि कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और अफसोस है कि इन कानूनों को वापस लेते समय भी इस सरकार ने किसानों को बांटने की कोशिश की.
किसान नेता ने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग पर स्पष्ट जवाब देना चाहिए, जिसका उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए ‘समर्थन’ किया था.