विशेष खबर: केशुभाई पटेल ने गुजरात में भाजपा के लिए ऐसा जादू चलाया जो अभी तक बरकरार है

आज गुजरात से भारतीय जनता पार्टी का वह सितारा चला गया जिसने पार्टी को राज्य की सत्ता तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. यही नहीं कांग्रेस के चिमन भाई पटेल के बाद पटेल बिरादरी में सबसे कद्दावर नेता बन कर भी उभरे थे. जी हां हम बात कर रहे हैं केशुभाई पटेल की. ]

गुजरात के पूर्व सीएम केशुभाई पटेल ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया. केशुभाई ही थे जिन्होंने गुजरात में कांग्रेस से सत्ता छीन कर भाजपा को दी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केशुभाई को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. 1995 में गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने केशुभाई के नेतृत्व में चुनाव लड़ा.

इन चुनावों में केशुभाई ने कांग्रेस का पूरी तरह सफाया कर दिया था. गुजरात की सियासत में केशुभाई का ऐसा जादू चला, जो अभी तक बरकरार रहा. केशुभाई पटेल की बदौलत ही गुजरात में 30 वर्षों से भाजपा का एक छत्र राज चला है. बता दें कि गुजरात के जूनागढ़ में 24 जुलाई 1928 को केशुभाई पटेल का जन्म हुआ था. पटेल बचपन में ही जनसंघ के करीब आ गए थे. केशुभाई कई वर्षों तक जनसंघ प्रचारक भी रहे.

गुजरात में कांग्रेस के कद्दावर नेता चिमन भाई पटेल की मौत के बाद पटेल समुदाय में केशुभाई पटेल सबसे बड़े नेता बनकर उभरे. पीएम मोदी केशुभाई पटेल की सियासत की कई मौकों पर प्रशंसा भी कर चुके हैं. वर्ष 2001 में एक वक्त ऐसा भी आया जब भाजपा आलाकमान ने केशुभाई पटेल को हटाकर नरेंद्र मोदी को गुजरात की सत्ता सौंप दी थी.

गुजरात में भाजपा ने 1995 में केशुभाई के नेतृत्व में पहली बार सत्ता पर काबिज हुई
90 के दशक में भाजपा समझ चुकी थी कि दलित-मुस्लिम और क्षत्रिय मतदाता अगर कांग्रेस के साथ हैं तो वो पटेलों को अपने साथ कर चुनाव जीत सकती है. केशुभाई पटेल को नेतृत्व दिया गया. भाजपा का यह प्रयोग सफल हुआ और 1990 में कांग्रेस की हार हुई. जनता दल और भाजपा की मिली-जुली सरकार बनी.

हालांकि राम मंदिर के मुद्दे पर भाजपा और जनता दल का साथ टूट गया, लेकिन इस दौरान भाजपा ने पटेल समुदाय पर अपना वर्चस्व हासिल कर लिया था. इसका फायदा भाजपा को 1995 में मिलना शुरू हुआ. केशुभाई पटेल के नेतृत्व में 1995 के चुनाव में 182 में से 121 सीटों पर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही.

कांग्रेस महज 45 के आंकड़े पर सिमट गई. यहां तक कि मुस्लिम बहुल इलाकों में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. सत्ता मिलते ही केशुभाई पटेल ने एक कुशल राजनेता की तरह पार्टी पर अपना एकछत्र राज कायम किया. साल 1998 के विधानसभा चुनाव हुए, केशुभाई पटेल के सामने पार्टी के भीतर कोई चुनौती नहीं रही.

ऐसे में केशुभाई पटेल ने बीजेपी को सियासी जीत दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. बीजेपी ने इस चुनाव में 182 में से 117 सीटों पर अपना परचम लहराया. वहीं कांग्रेस 60 सीटों पर सिमट गई.

4 मार्च 1998 को केशुभाई ने दूसरी बार सूबे के सीएम के तौर पर शपथ ली. हालांकि इस बार उनके सामने तब संकट खड़ा हुआ तब दो उपचुनाव में बीजेपी को हार मिली और कांग्रेस ने जीत दर्ज की.

वर्ष 2001 में केशुभाई पटेल के स्थान पर गुजरात के सीएम बने थे नरेंद्र मोदी
केशुभाई पटेल की राजनीतिक क्षमता पर सवाल खड़े होने लगे थे. इसके बाद हाईकमान ने केशुभाई पटेल को सीएम पद से इस्तीफा सौंप देने के लिए कहा. 2001 में उनकी जगह नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम पद की शपथ ली थी. इसके बावजूद केशुभाई पटेल से पीएम मोदी के घनिष्ठ संबंध रहे हैं. मोदी जब गुजरात के सीएम थे तो वह हमेशा अपनी जीत के बाद केशुभाई पटेल का आशिर्वाद लेने जाते थे.

सही मायने में केशुभाई पटेेल नरेंद्र के राजनीतिक गुरु थे. केशुभाई पटेल ने भाजपा आलाकमान से अनबन होने के बाद साल 2012 में बीजेपी छोड़ दी थी और अपनी नई पार्टी ‘गुजरात परिवर्तन पार्टी’ बनाई थी.

उन्होंने साल 2014 में राजनीति से संन्यास की घोषणा की. अपने राजनीति के कार्यकाल में वह छह बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. केशुभाई पटेल ने गुजरात में बीजेपी के लिए जो नींव रखी थी आज भी पार्टी उस पर मजबूती से कायम है.

केशुभाई के निधन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘केशुभाई ने जनसंघ और भाजपा को मजबूत बनाने के लिए गुजरात में लंबी चौड़ी यात्राएं कीं. किसान कल्याण के मुद्दे उनके दिल के सबसे करीब थे. विधायक, सांसद, मंत्री या सीएम के पद पर रहते हुए उन्‍होंने किसानों के कल्‍याण के लिए कई योजनाएं लागू करवाईं.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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