आज बात होगी उत्तराखंड की एक ऐसी पार्टी ‘यूकेडी’ की जो कभी कभी पहाड़ में अच्छा जनाधार रखती थी. अब 2022 के चुनाव से पहले अपनी गलतियों को कैसे सुधारा जाए इसपर काम यूकेडी कर रही है.
एक समय मे पहाड़ की नब्ज़ से वाकिफ उत्तराखंड क्रांति दल अपने अस्तिव की लड़ाई में ही उलझा पड़ा है. दल का दून में रविवार को महाधिवेशन हुआ तो वहां भी कार्यकर्ताओं में सोच में रार ही नज़र आई. एक समय में उत्तराखंड क्रांति दल में पहाड़ की जन भावना जुड़ी थी.
उसे भुनाने की दल से जुड़े लोग ही नाकाम दिखे, लेकिन अब नई ऊर्जा के साथ पुराने चहरे एक बार फिर कमान संभालने को तैयार है. काशी सिंह ऐरी अब पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है. अध्यक्ष पद पर ऐरी की ताजपोशी दल में नई जान डालने के लिए की गई है, ऐरी भी मानते है कि उनकी गलतियां रही जो अब दूर होगी.
वहीं राजनीतिक जानकार भी मानते है कि यूकेडी फर्श से अर्श पर आई और इसके जिम्मेदार इसके ही नेता हैं. अब पार्टी ने प्रदेश में अपना जनाधार खो दिया है और पार्टी को आगे आने के लिये एकजुट होना होगा.
अब कम वक्त में कैसे यूकेडी अपनी नैया पार लगाए इस पर दल के नेताओं को वर्कआउट करना जरूरी है. क्योंकि कई नई पार्टियां प्रदेश में अपनी ज़मीन तलाश रही हैं. ऐसे में क्षेत्रीय दल को 2022 में एक्सपीरियंस लोगों के साथ नया जोश लेकर काम करे जरूरी है.