शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती हैं और पूरे नौ दिनों तक चलती हैं. इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर यानी आज से से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक है.
26 अक्टूबर को विजयदशमी या दशहरा मनाया जाएगा. नवरात्रि से जुड़े कई रीति-रिवाजों के साथ कलश स्थापना का विशेष महत्व है.
कलश स्थापनाको घट स्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है.
कलश स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना की तिथि: 17 अक्टूबर 2020.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक.
कुल अवधि: 03 घंटे 49 मिनट
कलश स्थापना कैसे करें
-नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें.
-मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं और कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं.
-अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्सेे में मौली बांधें.
-अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें.
-इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं.
-अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें.
-अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें, जिसमें आपने जौ बोएं हैं.
-कलश स्थाशपना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्पब लिया जाता है.
-आप चाहें तो कलश स्था पना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योोति भी जला सकते हैं.
घोड़े पर सवार आएंगी मां दुर्गा
विद्वानों के अनुसार इस बार शनिवार को घट स्थापना होने से देवी का वाहन घोड़ा रहेगा. इसके प्रभाव से पड़ोसी देश से तनाव बढ़ने की आशंका है और देश में राजनीतिक उथल-पुथल भी हो सकती है.
जानिये किस दिन कौन-सी देवी की होगी पूजा
17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा