आज चर्चा करने से पहले आपको चार वर्ष पीछे 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव लिए चलते हैं.येे चुनाव अजित सिंह, जयंत चौधरी की सियासत को पीछे धकेल गए और उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल से जनता का मोहभंग भी हो गया था.
बता दें कि ‘उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से रालोद केवल एक सीट ही जीत पाई थी, साथ ही अजित सिंह के ग्रह जनपद बागपत और उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों मेरठ, मुजफ्फरनगर समेत आसपास जाट बेल्ट में राष्ट्रीय लोक दल का जनाधार भी बुरी तरह घट गया’.
उसके बाद अजित और जयंत ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी करारी हार हुई और पार्टी का एक भी प्रत्याशी जीतने में सफल नहीं हो सका, यही नहीं अजित के साथ जयंत भी अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सके.पिछले यूपी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद ‘रालोद का सियासी मार्केट ठंडा’ पड़ा हुआ था. अगले वर्ष होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा के साथ सपा, बसपा और कांग्रेस ने भी अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी थी.
दूसरी ओर ‘यूपी में अपना खोया हुआ जनाधार बढ़ाने के लिए अजित और जयंत मौके की तलाश में थे, आरएलडी प्रदेश की सियासत में सक्रियता बढ़ाने के लिए करवटें तो ले रहा था लेकिन उसे कोई मौका नहीं मिल पा रहा था’. कृषि कानूनों के विरोध में जाटलैंड यानी पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान राकेश टिकैत के नेतृत्व दिल्ली बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे.दो महीने बीत जाने के बाद भी दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के बीच रालोद के नेताा अपनी पैंठ नहीं बना पा रहे थे.
अब बात करते हैं 28 जनवरी दिन गुरुवार शाम का समय दिल्ली का गाजीपुर बॉर्डर जो कि उत्तर प्रदेश की सीमा से लगता है.यहां पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ‘राकेश टिकैत के गिरे आंसुओं की पहली बूंद 110 किलोमीटर दूर बैठे अजित सिंह और जयंत चौधरी पर जाकर गिरी, ‘राजनीति के पुराने खिलाड़ी माने जाने वाले अजित सिंह को अब आभास हो गया कि यह टिकैत के आंसू नहीं बल्कि हमारी सियासत को चमकाने के लिए एक मौका आया है’.
फिर क्या था रालोद मुखिया ने जयंत चौधरी के साथ मंत्रणा करते हुए आनन-फानन में राकेश टिकट और दिल्ली में किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए ट्वीट कर दिया.यही नहीं जयंत चौधरी तो तत्काल प्रभाव से शुक्रवार सवेरे ही गाजीपुर बॉर्डर पर जाकर टिकट के साथ फोटो भी खिंचा आए.
उसके बाद वहां से सीधे मुजफ्फरनगर किसानों की महापंचायत में भी पहुंच गए.इस दौरान जयंत चौधरी को भी लगने लगा कि उत्तर प्रदेश में सियासत चमकाने के लिए इससे अच्छा मौका और कोई हाथ नहीं लगेगा क्योंकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव की हलचल भी शुरू हो चुकी है.शनिवार को मुजफ्फरनगर में पांच घंटे चली महापंचायत में हजारों किसानों के बीच रालोद के उपाध्यक्ष जयंत ने किसानों के बीच घड़ियाली आंसू बहा कर अपनी सियासत को सक्रिय बनाने के लिए एलान भी कर डाला.
बता दें कि यह पंचायत राकेश टिकैत के बड़े भाई और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बुलाई थी लेकिन इसमें सबसे ज्यादा चेहरा जयंत चौधरी ने चमकाया.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार