नक्सलवादियों से लड़ने के अलावा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने छत्तीसगढ़ में स्कूली छात्रों के लिए कोचिंग की शुरुआत की है. छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के सुदूर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा में जवान योगदान दे रहे हैं.
ये वो इलाके है जहां अभी भी नक्सलियों का प्रभाव है और जंगल के इलाकों में स्कूली शिक्षा बहुत मुश्किल से बच्चो को मिल पाती है तो आप समझ सकते है ऐसे में यहां के बच्चे कंपटीशन में क्या मुकाबला कर सकेंगे. लेकिन आईटीबीपी के जवान छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाको के छात्र छात्राओं को कंपटीशन के लिए तैयार कर रहे है.
29वीं बटालियन आईटीबीपी के जवान कोंडागांव के दूरदराज के मुंजमेटा, फरसागांव, झारा और धौडाई गांवों में कई जगहों पर करीब 200 छात्रों के लिए कोचिंग क्लास संचालित कर रहे हैं. पर्वतीय प्रशिक्षित बल आईटीबीपी के जवान छात्रों को एकलव्य और नवोदय स्कूलों में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने की तैयारियों में मदद कर रहे हैं. मकसद है छोटे से गांव के ये बच्चे भी ऊंची उड़ान भर सके.
पिछले कुछ हफ्तों से लगभग 200 स्थानीय आदिवासी छात्रों को कोचिंग दी जा रही है. और सबसे बड़ी बात इन आदिवासी इलाके और नक्सल प्रभावित इलाके के लोग अपने बच्चो को आईटीबीपी के कोचिंग के लिए भेज रहे है. आईटीबीपी के जवान ना सिर्फ इन बच्चो को पढ़ा रहे है बल्कि पढ़ाई के लिए जरूरी किताबे और दूसरी चीजे भी उपलब्ध करा रही है.
राज्य में वामपंथ उग्रवाद से लड़ने के लिए आईटीबीपी को 2009 से छत्तीसगढ़ में तैनात किया गया है. इस बल ने पिछले वर्षों में कई सिविक एक्शन कार्यक्रम आयोजित किए हैं. आईटीबीपी ने छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ वर्षों में तीरंदाजी, हॉकी, जूडो और एथलेटिक्स में सैकड़ों स्थानीय छात्रों को प्रशिक्षित कर उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. और ये सब इसलिए हुआ क्योकि आईटीबीपी के जवानों ने नक्सली इलाको में और कठिन परिस्थिति में भी लोगो को सुरक्षा देने के साथ ही उनके साथ विश्वास का एक रिश्ता बनाया.