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Mamta Banerjee or Narendra Modi: 2021 में कौन से M का साथ देगा पश्चिम बंगाल, देखना दिलचस्प

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पीएम मोदी और ममता बनर्जी

मां, माटी और मानुष के नारे के जरिए फायर ब्रांड नेता ममता बनर्जी आज से 11 साल पहले बंगाल की राजनीति में जगह बना रही थीं और उसका नतीजा 2011 के विधानसभा चुनाव में नजर भी आया . चुनावी नतीजों में ममता बनर्जी ने लेफ्ट का किला ढहा दिया जो किसी अचंभे से कम ना था.

2011 में जो कामयाबी उन्हें मिली उसे 2016 में भी दोहराया. लेकिन उसी बीच केंद्र की सियासत में एक नए चेहरे ने एंट्री ली जिनकी पहचान गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के तौर पर थी. एनडीए की अगुवाई में बीजेपी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गई और पार्टी की नजर बंगाल के सूबे पर पड़ी जहां वो अपने झंडे को बुलंद देखना चाहते थे.

2021 का चुनाव होगा दिलचस्प
2014 के आम चुनाव में बंगाल में बीजेपी बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाबी नहीं हुई. लेकिन 2106 के चुनाव में वोट प्रतिशत के जरिए बीजेपी की पहुंच बंगाल के गांवों तक हुई जिस पर 2019 के आम चुनाव के नतीजे मुहर भी लगाते हैं. 2019 में बीजेपी ने 19 सीटें जीतकर संदेश दिया कि अब वो भी लोड़बो, कोरबो के रास्ते पर चलेंगे और उस दिशा में बीजेपी का प्रचंड राजनीतिक अभियान जारी है. इन सबके बीच अब बड़ा सवाल यह है कि 2021 के चुनावी नतीजों में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा.

जल्द जल्द नहीं बदलता बंगाली मानस

पश्चिम बंगाल के बारे में आमतौर पर माना जाता रहा है कि वहां के लोग बहुत जल्दबाजी में बदलाव नहीं करते हैं और उसके पीछे वाम दलों के लंबे शासन को उदाहरण के तौर पर पेश किया जाता है. लेकिन इसके साथ 2011 से 2020 के कालखंड का जिक्र करते हुए कहते हैं कि अब बहुत कुछ बदलाव हो सकता है. मसलन 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सीटों के तौर पर बड़ी कामयाबी भले ही ना मिली हो लेकिन 2019 में ना सिर्फ बीजेपी के वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई बल्कि सांसदों की संख्या बढ़ गई. ये दोनों उदाहरण ऐसे हैं जो बंगाल की जनता के मानस को बताते हैं.

बीजेपी के पास पीएम मोदी के तौर पर करिश्माई चेहरा
पीएम नरेंद्र मोदी के रूप में बीजेपी के पास करिश्माई चेहरा है. अब पीएम मोदी की छवि करिश्माई क्यों है इस सवाल के जवाब में जानकार बताते हैं कि आप अगर देखें तो चाहे आम चुनाव हो या प्रादेशिक चुनाव हों बीजेपी हद से अधिक पीएम मोदी के चेहरे पर भरोसा करती रही है और लोगों ने भी उस भरोसे को टूटने नहीं दिया. बीजेपी के पास करिश्माई चेहरा होने के साथ साथ उच्च कोटि के सेनापति भी हैं. आप अगर बंगाल की मौजूदा राजनीति को देखें को कार्रकर्ताओं की हत्या के बाद भी बीजेपी नेताओं का जोश फीका नहीं पड़ता है बल्कि दोगुने जोश के साथ वो मैदान में उतरते हैं. पीएम मोदी मे हाल ही में जब विश्व भारती विश्वविद्यालय के समारोह में जोश से लबरेज विचारों को रखा तो उसका असर बीजेपी की जमीनी तैयारियों पर दिखाई दिया.

मां, माटी, मानुष का नारा और ममता
जानकारों का कहना है कि अगर पीएम मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व है तो ममता बनर्जी को कमतर नहीं आंका जा सकता है सामान्य वेशभूषा वाली ममता बनर्जी के जुझारू तेवर को सबने देखा है. ममता पर बीजेपी जितना हमलावर होती है वो उतना ही मुखर होकर विरोध करती हैं और उसका नजारा बोलपुर रोडशो में भी दिखाई दिया. ममता बनर्जी अपनी सभी सभाओं में कहती हैं कि किस तरह से केंद्र सरकार, राज्यपाल और अन्य एजेंसियों के जरिए उनको परेशान करने की कोशिश की जाती है लेकिन उनकी इच्छाशक्ति किसी भी माएने में कमजोर नहीं है. लोकतंत्र में जनता जनार्दन ही किसी की हार या जीत की वजह बनते हैं ऐसे में ममता बनर्जी बनाम नरेंद्र मोदी में कौन पड़ेगा भारी देखना दिलचस्प होगा.

साभार-टाइम्स नाउ

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