उपग्रह ईओएस-03 लॉन्च कर इतिहास बनाने से चूक गया इसरो, मिशन फेल

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)| GSLV- F 10 रॉकेट के जरिए भू्-अवलोकन उपग्रह EOS-03 को लॉन्च कर इतिहास बनाने से चूक गया. लॉन्च के कुछ समय बाद ही क्रायोजेनिक इंजन से आंकड़े मिलने बंद हो गए.

GSLV-F10 रॉकेट ने उड़ान तो भरी लेकिन मिशन समय से कुछ सेकेंड पहले ही खराब हो गया और आंकड़े मिलने बंद हो गए. इसके बाद इसरो के कंट्रोल रूम में बैठे वैज्ञानिकों के चेहरे पर तनाव साफ देखने को मिल रहा था. इसरो के चेयरमैन के सिवन ने मिशन के फेल होने पर जानकारी देते हुए कहा, ‘मिशन पूरा नहीं हो सका. इसका मुख्य कारण क्रायोजेनिक चरण में आई तकनीकी खराबी रही.’

इसरो ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए कहा, ‘GSLV-F10 का प्रक्षेपण आज निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक, भारतीय समनुसार 0543 बजे हुआ. पहले और दूसरे चरण का प्रदर्शन सामान्य रहा. हालांकि, क्रायोजेनिक अपर स्टेज इग्निशन तकनीकी खराबी के कारण नहीं हुआ. उद्देश्य के अनुसार मिशन को पूरा नहीं किया जा सका.’ फरवरी में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह एमेजोनिया-1 और 18 अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद 2021 में इसरो का यह दूसरा प्रक्षेपण था.

क्या थी विशेषताएं

अत्याधुनिक भू-अवलोकन उपग्रह ईओएस-03 को जीएसएलवी-एफ 10 के जरिए भूसमकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया जाना था. इसके बाद, उपग्रह अपनी प्रणोदक प्रणाली का इस्तेमाल कर अंतिम भू-स्थिर कक्षा में पहुंचना था.
इसे जीएसएलवी-एफ10 द्वारा जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. इसके बाद, उपग्रह अपने ऑन-बोर्ड प्रपल्शन प्रणाली का इस्तेमाल करके भूस्थिर कक्षा में पहुंचना था.
अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाइट (ईओएस) की मुख्य विशेषता यह है कि, यह चिन्हित किये गए किसी बड़े क्षेत्र क्षेत्र की वास्तविक समय की छवियां लगातार अंतराल पर भेजता रहेगा. उयह प्राकृतिक आपदाओं, प्रासंगिक घटनाओं के साथ-साथ किसी भी तरह की अल्पकालिक घटनाओं की त्वरित निगरानी में मदद करने का काम करता
इसके माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं की त्वरित निगरानी करने के साथ कृषि, वनीकरण, जल संसाधनों तथा आपदा चेतावनी प्रदान करना, चक्रवात की निगरानी करना, बादल फटने आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होनी थी.
इस प्रक्षेपण से पहले केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, जहां तक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का संबंध है, जीवन के हर क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विविध अनुप्रयोगों को आज दुनिया भर में स्वीकार किया जा रहा है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हमारे निष्कर्ष तथा अनुभव दुनिया के कुछ प्रमुख अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा साझा किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब से श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला है, हर मंत्रालय और हर ढांचागत विकास प्रक्रिया में भारत की स्वदेशी तकनीकों को लागू करने का निरंतर प्रयास किया गया है.

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