पिछले कई दिनों से करोड़ों कर्मचारी पीएफ में ब्याज दर और बढ़ाने की चाहत रखे हुए थे. लेकिन केंद्र सरकार ने आज ब्याज दर बढ़ाने के बजाय घटा और दिया है. इस खबर बाद कर्मचारियों को निराशा हुई . ईपीएफ की बैठक में पीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला किया गया है.
पहले यह 8.5 फीसदी था, जो अब 8.1 फीसदी कर दिया गया है. यह दर पिछले करीब चार दशकों यानी 40 सालों में सबसे कम है. 1977-78 में ईपीएफओ ने 8 फीसदी का ब्याज दिया था. उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे अधिक रही है.
11 मार्च, शुक्रवार को ही ईपीएफओ की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई थी, जो आज खत्म हो गई है, जिसमें ईपीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला लिया गया है. मोदी सरकार के इस फैसले के देश के करीब 6 करोड़ कर्मचारियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा.
कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उनकी सैलरी का एक निश्चित हिस्सा (12%) पीएफ खाते में जमा किया जाता है. इतनी ही राशि उसके एम्प्लॉयर को इस खाते में जमा करनी होती है. हालांकि एम्प्लॉयर के अंशदान का एक हिस्सा कर्मचारी के पेंशन फंड में जाता है.
ईपीएफओ इस पूरे फंड का प्रबंधन करता है और हर साल इस राशि पर ब्याज देता है. वित्त वर्ष 1977-78 में ईपीएफओ ने लोगों को पीएफ जमा पर 8% ब्याज दिया था. तब से ये लगातार इससे ऊपर बना रहा है और अब 40 साल में मिलने वाला सबसे कम ब्याज है. हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले पर मुहर नहीं लगी है.