जिनेवा में अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) का विशेष सत्र चल रहा है. यहां संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि हर कोई अफगान नागरिकों के मौलिक अधिकारों के बढ़ते उल्लंघन से चिंतित है. अफगान इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या उनके सम्मान के साथ जीने के अधिकार का सम्मान किया जाएगा.
अफगानिस्तान के साथ हमारी सहस्राब्दी पुरानी दोस्ती लोगों के बीच संबंधों के मजबूत स्तंभों पर टिकी हुई है. भारत हमेशा शांतिपूर्ण, समृद्ध और प्रगतिशील अफगानिस्तान के लिए खड़ा रहा है. भारत अफगानिस्तान के अपने मित्रों की आकांक्षाओं को पूरा करने में उनकी सहायता करने के लिए तैयार है.
भारत के प्रतिनिधि इंद्र मणि पांडे ने कहा, ‘हम यह भी आशा करते हैं कि एक समावेशी और व्यापक आधारित व्यवस्था है जो अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है. अफगान महिलाओं की आवाज, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए. एक व्यापक आधारित प्रतिनिधित्व व्यवस्था को अधिक स्वीकार्यता और वैधता हासिल करने में मदद करेगा.’
उन्होंने कहा, ‘हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रूप में देश में शांति, स्थिरता और सुरक्षा की उनकी इच्छा में अफगानिस्तान के लोगों को पूर्ण समर्थन सुनिश्चित करना चाहिए और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों सहित सभी अफगानों को शांति और सम्मान के साथ रहने में सक्षम बनाना चाहिए.’
वहीं है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अफगानिस्तान के राजदूत नासिर अहमद अंदिशा ने कहा कि ‘मानवाधिकार प्रणाली’ वेट एंड सी नहीं कर सकती है और नहीं करना चाहिए. हमें ध्यान देने और कार्रवाई करने की आवश्यकता है. हमें उम्मीद है कि अफगानिस्तान की स्थिति उसके पड़ोसियों के लिए कोई चुनौती नहीं है और इसके क्षेत्र का उपयोग लश्कर और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूहों द्वारा किसी अन्य देश को धमकी देने के लिए नहीं किया जाता है.