बीते सप्ताह विदेश मंत्रालय ने एलएसी पर चीन के साथ तनाव के बीच विदेश मंत्रालय ने कहा था कि क्षेत्र में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है. भारत ने सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरा करने पर जोर दिया है, लेकिन चीन इस मसले को लेकर पैंतरबाजी पर उतर आया है.
दोनों देशों के बीच सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस वर्ष फरवरी में पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था. लेकिन गोगरा-हॉट स्प्रिंग इलाके में अब भी गतिरोध की स्थिति बनी हुई है.
भारत और चीन के बीच 11 दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है. दोनों पक्षों के बीच 12वें दौर की वार्ता की तारीखों पर फैसला किया जाना है, लेकिन चीन इसे लेकर उदासीन रवैया अपनाए हुए है.
बताया जा रहा है कि उसने पहले तो गोगरा-हॉट स्प्रिंग इलाके से सेना हटाने से इनकार कर दिया और अब चाहता है कि विवाद का समाधान कॉर्प्स कमांडर स्तर की बातचीत से नहीं, बल्कि स्थानीय कमांडर्स के स्तर पर हो.
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, ‘ऐसे में जबकि 12वें दौर की वार्ता को लेकर तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं, पीएलए कह रही है कि एलएसी पर पैंगोंग सो झील में डिस्एंगेजमेंट की प्रक्रिया दोनों देशों के नेतृत्व के लक्ष्यों के हिसाब से पूरी हुई है. वे चाहते हैं कि गोगरा-हॉट स्प्रिंग इलाके से सैनिकों के पीछे हटने के प्रक्रिया स्थानीय कमांडर स्तर पर हो, न कि इसके लिए कोई खास वार्ता न बुलाई जाए.’
चीनी सेना का यह रुख दर्शाता है कि वे इलाके में विवाद के जल्दी समाधान के मूड में नहीं हैं, जबकि भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्ते सामान्य करने के लिए पूर्वी लद्दाख में विवाद के क्षेत्रों से सैन्य वापसी पहली शर्त है.
क्षेत्र में तनाव की शुरुआत बीते साल अप्रैल-मई में हुई थी, चीनी सेना ने पैंगोंग सो झील और गोगरा-हॉट स्प्रिंग इलाके में आक्रामकता दिखाई थी. दोनों देशों में संबंध तभी से तनावपूर्ण बने हुए हैं, जो मई 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद चरम पर पहुंच गया था.