शुक्रवार को भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विशाखापटनम से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया गया. डीआरडीओ ने बताया कि ब्रह्मोस के नेवी वैरिएंट का ये परीक्षण पश्चिमी समुद्र तट के नजदीक किया गया.
इस दौरान मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने में कामयाब रही. आईएनएस विशाखापटनम को हाल ही में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है. यह चुपके से मिसाइलों को चकमा देकर नष्ट करने की क्षमता से लैस है.
वहीं ब्रह्मोस भारतीय सेना के मुख्य हथियारों में से एक है. ब्रह्मोस की एंटी शिप, लैंड अटैक और हवा से मार करने वाली मिसाइलों को नेवी, आर्मी और एयरफोर्स पहले से ही इस्तेमाल कर रही है. इन दिनों ब्रह्मोस की पानी के अंदर मार करने वाली मिसाइल के परीक्षण का काम चल रहा है.
इसे न सिर्फ भारत में पनडुब्बियों पर लगाने की योजना है बल्कि अन्य देशों को निर्यात भी किया जाएगा. समुद्र से छोड़ी जाने वाली ये मिसाइल जहाजों को निशाना बनाने में सक्षम तो हैं ही, धरती पर भी दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकती है.
ब्रह्मोस को तैयार करने का काम भारत-रूस के वैज्ञानिक मिलकर कर रहे हैं. ब्रह्मोस मिसाइलें 2.8 मैक यानी आवाज की गति से लगभग तीन गुना रफ्तार से उड़कर दुश्मन के ठिकानों तबाह करने की क्षमता रखती हैं. इतनी रफ्तार होने के कारण इसे पकड़ना भी मुश्किल होता है. पिछले महीने ब्रह्मोस के एडवांस वर्जन का परीक्षण किया गया था, जिसे पनडुब्बी, जहाज, विमान और जमीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है.
ब्रह्मोस के परीक्षण के बाद आईएनएस विशाखापत्तनम अब राष्ट्रपति के फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लेने के लिए पहुंच गया है. यह रिव्यू विशाखापत्तनम में 21 फरवरी को होगा. इसका आयोजन नौसेना द्वारा भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में किया जाएगा. इसके बाद द्विवार्षिक बहुपक्षीय नौसैन्य अभ्यास ‘मिलन’ होगा. इस बार इसके 11वें संस्करण में 45 से अधिक देशों को भाग लेने के लिए न्योता दिया गया है.