फ्रांस के कांस फिल्म फेस्टिवल में भारत के लिए अच्छी खबर है. भारतीय फिल्ममेकर शॉनक सेन की डॉक्युमेंट्री ऑल दैट ब्रीद्स को कांस फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डॉक्युमेंट्री का अवॉर्ड लाॅ’यल डी’ओर मिला है. यह फिल्म कांस में भारत की तरफ से अकेली एंट्री थी.
ऑल दैट ब्रीद्स दो भाइयों की कहानी है जो दिल्ली के वजीराबाद में रहते हैं और घायल पक्षियों का रेस्क्यू और उनका इलाज करते हैं. कांस फिल्म फेस्टिवल में विशेष स्क्रीनिंग के दौरान यह डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई थी. इसमें मोहम्मद सऊद और नदीम शहबाज नामक भाइयों के जीवन को दर्शाया गया है, जो दिल्ली के एक गांव वजीराबाद में घायल पक्षियों का और विशेष रूप से काली चीलों को बचाते और उनका इलाज करते हैं.
सेन एक फिल्म डायरेक्टर हैं और उन्होंने दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी. 88 मिनट की इस डॉक्युमेंट्री पर से पूरी ज्यूरी इम्प्रैस दिखी. गोल्डन आई अवॉर्ड जीतने वाले शौनक सेन दूसरे भारतीय हैं.
पिछले साल यह अवॉर्ड पायल कपाड़िया की डॉक्युमेंट्री A Night of Knowing Nothing ने जीता था. शॉनक सेन को कान्स फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड के रूप में 5 हजार यूरो (करीब 4.16 लाख रुपये) दिए गए.
सेन दिल्ली के रहने वाले एक डायरेक्टर, वीडियो आर्टिस्ट और सिनेमा स्कॉलर हैं. वह फिलहाल जेएनयू से पीएचडी कर रहे हैं. शौनक सेन ने 2016 में डॉक्युमेंट्री ‘सिटीज ऑफ स्लीप’ से डेब्यू किया था.
इसे न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल, ताइवान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल समेत दुनियाभर में कई और जगहों पर दिखाया गया छा. सेन एक अकेडमिक लेखक भी हैं और उनका काम ‘बायोस्कोप’ और ‘वाइडस्क्रीन’ में छप चुका है. उन्हें कई फेलोशिप भी मिल चुकी हैं.
वहीं दूसरी ओर फिल्म मेकर रुबेन को ट्राएंगल ऑफ सैडनेस के लिए पाल्मे डी’ओर अवॉर्ड मिला है. रूबेन स्वीडिश फिल्म मेकर हैं. इन्होने दूसरी बार ये खिताब जीता है. इससे पहले 2017 में ‘द स्क्वायर’ के लिए रुबेन को अवॉर्ड मिला था. जूलिया डुकोर्नौ ने अपनी फिल्म टाइटन के लिए 2021 में पाल्मे डी’ओर जीता था. यह पुरस्कार जीतने वाली वह दूसरी महिला थीं.