चीन के बॉर्डर पर भारतीय सेना को और ताकतवर बनाया जाएगा. सेना ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित 12 स्वाति हथियार खोजने वाले रडार खरीदने के लिए रक्षा मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है.
सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया कि भारतीय सेना ने करीब 1,000 करोड़ रुपए के स्वाति डब्ल्यूएलआर के लिए प्रस्ताव रखा है और इसे उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय की बैठक में विचार के लिए पेश किया जाएगा.
डीआरडीओ द्वारा विकसित और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित हथियार खोजने वाले राडार ने बड़ी सफलता हासिल की थी. यह आर्मेनिया को भी आपूर्ति की गई थी. स्वाति हथियार का पता लगाने वाले रडार 50 किलोमीटर की सीमा के भीतर मोर्टार, गोले और रॉकेट जैसे दुश्मन के हथियारों का तेज, ऑटोमेटिक और सटीक स्थान बताता है. यह रडार एक साथ अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग हथियारों से दागे गए कई प्रोजेक्टाइल का पता लगा सकते हैं.
भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर अपने अभियानों के लिए राडार का इस्तेमाल करती रही है. इस सिस्टम को 2018 में आर्मी में ट्रायल के लिए दिया गया था. नए आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे स्वदेशीकरण के एक प्रमुख समर्थक हैं और स्व-चालित आर्टिलरी गन जैसे कई प्रकार के उपकरणों के ऑर्डर केवल भारतीय विक्रेताओं के पास जाने की संभावना है.
छोटे हथियारों में भी एक बड़ा सपोर्ट मिलने की उम्मीद है क्योंकि विदेशी असॉल्ट राइफलों के नियोजित ऑर्डर अब उन भारतीय विक्रेताओं को दिए जाने वाले हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया है.