लेह| पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच जारी तनाव के बीच एक अच्छी खबर आई है. भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो झील के किनारे फिंगर 4 पर चीनी सेना की स्थिति को देखते हुए ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया है. सूत्रों के हवाले से इस बात की जानकारी मिली है. सूत्रों ने बताया कि अगस्त के आखिर में पंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे के पास ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए पूर्ववर्ती कार्रवाइयों के साथ ये ऑपरेशन किए गए थे.
भारतीय सेना के सूत्रों ने जानकारी दी कि भारत और चीन की सेनाओं ने आज पूर्वी लद्दाख में ब्रिगेड कमांडर-स्तर और कमांडिंग ऑफिसर स्तर पर बातचीत की. बातचीत का उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच बातचीत को खुला रखना है. ये खबर ऐसे समय आई है जब मॉस्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर जल्द ही अपने चीनी समकक्ष वांग यी से बातचीत करने जा रहे हैं. नियंत्रण रेखा के पास भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव के मद्देनजर दोनों विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता होगी.
विदेश मंत्री जयशंकर वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर बातचीत करेंगे, यह पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि ‘‘इस मुद्दे पर चर्चा होगी.’’ जयशंकर और वांग शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए मास्को में है.
गौरतलब है कि भारत ने मंगलवार को कहा था कि छड़, भाले और रॉड आदि से लैस चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में रेजांग-ला रिज लाइन के मुखपारी क्षेत्र स्थित एक भारतीय ठिकाने की ओर सोमवार शाम आक्रामक तरीके से बढ़ने का प्रयास किया तथा हवा में गोलियां चलाईं. सीमा पर जारी तनाव के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल किया गया.
उल्लेखनीय है कि चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़पों के दौरान पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार गलवान घाटी में हुई झड़पों में भारतीय सैनिकों ने चीन के 35 सैनिकों को मार गिराया था.
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बढ़ने के बीच सूत्रों ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लगभग 50-60 सैनिक सोमवार शाम छह बजे के आसपास पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट स्थित भारतीय चौकी की ओर बढ़े लेकिन वहां तैनात भारतीय सेना के जवानों ने दृढ़ता से उनका सामना किया, जिससे उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा.
साभार-न्यूज़ 18