पाकिस्तान और आतंकियों के बीच साठगांठ किसी से छिपी नहीं है. हालांकि पाक इस बात से इनकार करता रहा है. लेकिन अब इस बात के सबूत सामने आए हैं. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स से पहले ये काफी अहम है. अक्टूबर में इस बात की समीक्षा की जानी है कि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक्शन प्लान को लागू करने में कितना सफल रहा है और इससे पहले ही इस्लामाबाद के विशेष रूप से आतंकवाद के वित्तपोषण देने , लगातार आतंक का समर्थन करने और आतंकवाद को दिए जाने वाले सक्रिय समर्थन के बढ़ने के प्रमाण मिले हैं. सुरक्षा एजेंसियों ने एक नया दस्तावेज़ हासिल किया है, जो पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के साथ इसकी (आतंकवादी समूह की) एक छद्म शाखा की निकटता की पुष्टि करता है. जिसके चलते फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स मीटिंग में पाकिस्तान की स्थिति के और खराब होने की संभावना है.
पाकिस्तान की ओर से भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जिन महत्वपूर्ण आतंकवादी समूहों का इस्तेमाल किया गया है, उनमें से एक हिजबुल मुजाहिदीन है. जिसक अध्यक्ष मोहम्मद यूसुफ शाह है, उसे सैयद सलाहुद्दीन के नाम से भी जाना जाता है. वह कई आतंकवादी संगठनों के पैत्रक संगठन संयुक्त जिहाद परिषद जैसे सगंठन का भी प्रमुख है, जिसके अंतर्गत लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रमुख आतंकी संगठन आते हैं.
अपने पाकिस्तानी आकाओं के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए सलाहुद्दीन जम्मू-कश्मीर में भारत विरोधी प्रचार और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है. उसने कश्मीर में आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों की फंडिंग में पाकिस्तान की भूमिका को समय-समय पर स्वीकार किया है. जून, 2012 में एक साक्षात्कार में, सलाहुद्दीन ने स्वीकार किया था कि वह कश्मीर में पाकिस्तान की लड़ाई लड़ रहा था, यहां तक कि उसने समर्थन वापस लिए जाने पर इस लड़ाई को इस्लामाबाद तक ले जाने की धमकी भी दी थी.
सलाउद्दीन ने यह भी घोषणा की थी कि “मुजाहिदीन संघर्ष पाकिस्तान के लिए एक रक्षा पंक्ति के रूप में कार्य करता है.” लगता है कि उसके बेटों सैयद शकील यूसुफ और सैयद शाहिद यूसुफ की गिरफ्तारी और हाल ही में भारतीय सुरक्षा बलों के (6 मई को) को उसके दो करीबी सहयोगियों रियाज नाइकू और आदिल अहमद को मौत के घाट उतार देने से सलाउद्दीन परेशान समझ आ रहा है, जिससे वह लगातार और अधिक दुस्साहसी होता जा रहा है.
सलाउद्दीन कई भारतीय प्रॉक्सी एनजीओ और आईएसआई और अन्य पाकिस्तान स्थित संस्थाओं द्वारा समर्थित चैरिटी के माध्यम से भारतीय जमीन पर आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देता है. इनमें से सबसे प्रमुख जम्मू और कश्मीर प्रभावित राहत ट्रस्ट है.
जेकेएआरटी का उपयोग सलाउद्दीन द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन देकर नई भर्तियां करने के लिए और “शहीद” होने पर उनके परिवार के सदस्यों की देखभाल करने का वादा करने के लिए किया जाता है. जेकेएआरटी का मुख्य कार्यालय रावलपिंडी में इस्लामाबाद में है, जबकि इसकी शाखाएं मुजफ्फराबाद में कई जगहों पर हैं.