भारत इंटरनेट कंपनियों पर लगाए गए इक्वलाइजेशन लेवी या ‘Google tax’ को खत्म कर देगा जब 136 देशों के प्रतिनिधियों के बीच ग्लोबल टैक्स डील पर सहमति हो जाएगी. लेकिन यह सुनिश्चित हो जाए कि गूगल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स और माइक्रोसॉफ्ट जैसी डिजिटल कंपनियां न्यूनतम 15% की दर से भुगतान करे. जहां वे काम करते हैं.
भारत को वर्तमान में इक्वलाइजेशन लेवी से 4000 करोड़ रुपए मिलते हैं, जिसे शुक्रवार को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा अंतिम रूप दिए नए ग्लोबल टैक्स डील के हिस्से के रूप में वापस लेना होगा. यह डील 2023 में लागू होगा.
प्रस्तावित डील के हिस्से के रूप में, ओईसीडी ने इक्वलाइजेशन लेवी जैसी एकतरफा डिजिटल टैक्स व्यवस्था को तत्काल हटाने और भविष्य में इस तरह के उपायों को पेश नहीं करने की प्रतिबद्धता की मांग की है.
G20 देशों के वित्त मंत्री 13 अक्टूबर को ग्लोबल टैक्स डील पर बैठक और चर्चा करेंगे जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल होंगी. वर्तमान में, डिजिटल कंपनियां भारत में अपने सालाना राजस्व पर लगाए गए 2%-6% इक्वलाइजेशन लेवी के अलावा किसी भी टैक्स का भुगतान नहीं करती हैं.
भारत ने विकसित देशों द्वारा इक्वलाइजेशन लेवी को तत्काल हटाने या इसके बदले कंपनियों को क्रेडिट प्रदान करने का भी विरोध किया है. एक अंग्रेजी अख़बार की एक रिपोर्ट में उद्धृत सरकारी अधिकारियों ने कहा कि जब तक डील की रूपरेखा को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक देश राजस्व को कम नहीं होने देगा. नई ग्लोबल टैक्स व्यवस्था 2023-34 तक लागू होने की उम्मीद है.
जिन डिजिटल कंपनियों का भारत में कोई स्थाई प्रतिष्ठान नहीं है, उन्हें 2 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व पर समान शुल्क का भुगतान करना होगा. यह 2016 में शुरू की गई डिजिटल विज्ञापन सेवाओं के भुगतान पर 6% से अधिक लेवी है. हालांकि, प्रस्तावित ग्लोबल टैक्स ढांचे पर और चर्चा हो सकती है क्योंकि ग्लोबल टैक्स लगाने की सीमा अभी भी काफी अधिक है.
ग्रांट थॉर्नटन भारत के नेशनल लीडर टैक्स विकास वासल ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि ग्लोबल टैक्स डिटेल पर अधिक चर्चा होने की संभावना है ताकि भारत जैसे देशों को नुकसान न हो क्योंकि नए टैक्स नियमों को लागू करने की सीमा काफी अधिक है.