90.4 प्रतिशत कारगर वाला नोवावैक्स टीका अमेरिका में अपना टेस्ट पास कर चुका है लेकिन इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिली है. नोवावैक्स टीके का उत्पादन करने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया आगे आया है. इससे इस टीके की उपलब्धता भारत में आसानी से हो सकेगी.
नोवावैक्स और सीरम ने एक साल में कोरोना वैक्सीन के 200 करोड़ खुराक (एक महीने में 5 करोड़) तैयार करने का करार किया है. अगस्त में यह डील साइन की गई थी. सितंबर-दिसंबर तक खुराकों के मिलने की उम्मीद है. खुराक की संख्या जरूरत के हिसाब से आगे बढ़ाई जा सकती है.
दरअसल, इस समय अमेरिका में कोरोना के टीके बड़ी संख्या में रिजर्व रखे गए हैं. ऐसे में वहां औषधीय नियामक किसी नए टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने में देरी कर रहा है. अमेरिकी कानून के मुताबिक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए यदि आवश्यकता से अधिक टीके उपलब्ध होते हैं तो वहां अन्य टीकों के आपात इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जाती है.
भारतीय सूत्रों का कहना है कि भारत इस टीके के बारे में ब्रिटेन के नियामक का अनुसरण कर सकता है. भारत सरकार के अनुमान के मुताबिक सितंबर से दिसंबर महीने तक नोवावैक्स के 20 करोड़ डोज उपलब्ध हो सकते हैं.यह संख्या और बढ़ सकती है.
भारत में नोवावैक्स का नाम कोवावैक्स दिया गया है. यह टीका अपने परीक्षण के दूसरे और तीसरे चरण में है. एसआईआई 15 केंद्रों पर 18 साल से ज्यादा उम्र वाले 1600 लोगों पर परीक्षण कर रही है.
रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि एसआईआई ने इस टीके का बच्चों पर परीक्षण करने की इच्छा जाहिर की है. कहा जा रहा है कि इस वैक्सीन को लांच करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन सकता है.