पूरा देश आजादी के जश्न में सराबोर है. इस बार 15 अगस्त को हमें स्वतंत्र हुए 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे. आजादी की पूर्व संध्या पर ‘लहराता तिरंगा’ स्वतंत्रता का जोश जगा रहा है. लाल किला एक बार फिर से आजादी की ‘हीरक जयंती की गौरव गाथा’ लिखेगा. इसके साथ यह ऐतिहासिक इमारत देशवासियों को अपने वीर सपूतों और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद भी दिला रही है.
‘दिल्ली के लाल किले को जंग-ए-आजादी का गवाह माना जाता है’. भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिलने के बाद नेहरू ने किले से पहली बार ध्वजा रोहण किया. तभी से हर साल यहां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर झंडा फहराने की परंपरा है. यहां हम आपको बता दें कि 14 अगस्त 1947 जब भारत स्वतंत्रता की ‘नई सुबह’ का इंतजार कर रहा था.
’देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले आधी रात को कहा था जब देशवासी सुबह का सूरज देखेंगे तो उन्हें आजाद भारत मिलेगा’. आखिरकार हम 15 अगस्त 1947 को इंग्लैंड से 200 साल बाद स्वतंत्र हो गए. इसी दिन यानी 15 अगस्त 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार लाल किले पर तिरंगा फहराया था.
इसके बाद से स्वतंत्रता दिवस पर हर साल भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर ‘राष्ट्रीय तिरंगा’ झंडा फहराते हैं. जब से लगातार लाल किले प्राचीर से प्रधानमंत्रियों का स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराना और राष्ट्र के नाम संबोधन चला आ रहा है. यह देशवासियों का ‘राष्ट्रीय त्योहार’ भी है. जिसमें भारत की गुलामी के दौर की सुनहरी यादें भी जुड़ी हुईं हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, शहीद भगत सिंह, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय समेत कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के दमन से देश आजाद कराने में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया.
भारत सरकार भी आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर इसे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मनाने जा रही है. 15 अगस्त का दिन उन वीरों की गौरव गाथा और बलिदान का प्रतीक है . स्वतंत्रता दिवस केवल एक दिन विशेष नहीं बल्कि, देश के उन असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति हमारे सम्मान को प्रदर्शित करने का जरिया भी है जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया था.
आजादी के 75 साल बाद भारत ने कई क्षेत्रों में अपनी विकास यात्रा की पहचान बनाई
देश स्वतंत्र होने से लेकर अब तक सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य, खेल एवं तकनीकी क्षेत्र की विकास यात्रा में देश ने अपनी एक पहचान बनाई है. 75 वर्षों की इस विकास यात्रा में नए कीर्तिमान बने हैं. आज भारत की पहचान एक सशक्त राष्ट्र के रूप में है. ये दिन राष्ट्र के प्रति अपनी एकजुटता और निष्ठा दिखने का दिन भी है.
साथ ही ये पावन अवसर युवा पीढ़ी को राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करता है. राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को समझने और देशभक्ति का महत्व समझने के लिए ये स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है. बता दें कि इस साल देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह की थीम ‘नेशन फर्स्ट, ऑलवेज फर्स्ट’ रखी गई है. परंपरा के अनुसार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को संबोधित करेंगे. पीएम मोदी लगातार आठवीं बार लाल किले से भाषण देंगे .
जश्न-ए-आजादी की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाने का एलान किया. ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता, नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी’.
स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां राजधानी दिल्ली के साथ देश के कई शहरों में जोर-शोर से चल रही हैं. दिल्ली के लालकिले पर शुक्रवार को इंडिपेंडेंस डे परेड की रिहर्सल की गई.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार