भारत में शिशु मृत्यु दर में सुधार हुआ है. 2009 की तुलना में ये 50 से गिरकर 30 पर आ गई है. हालांकि मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में स्थिति चिंताजनक है.
चिंताजनक बात यह है कि सुधार में मंदी उन राज्यों में दर्ज की गई है, जिनका प्रदर्शन सबसे खराब रहा है. हालांकि, बिहार अपवाद है.
शिशु मृत्यु दर को बच्चे के पहले जन्मदिन से पहले होने वाली मृत्यु के रूप में परिभाषित किया जाता है. यह प्रति 1000 जीवित जन्मे बच्चों पर एक वर्ष या इससे कम उम्र मे मर गये शिशुओं की संख्या है. भारत की शिशु मृत्यु दर अभी भी बांग्लादेश और नेपाल की तुलना में अधिक है, दोनों में ये 26 है लेकिन पाकिस्तान से बेहतर है. वहां शिशु मृत्यु दर 56 है.
लगभग सभी राज्यों ने एक साल पहले की तुलना में शिशु मृत्यु दर में सुधार दिखाया है. 2009 और 2014 के बीच आईएमआर में 50 से 39 तक उल्लेखनीय सुधार हुआ था. हालांकि, पिछले पांच वर्षों में लाभ धीमा हो गया है. जिन राज्यों ने बहुत सुधार दिखाया है उनमें बिहार, आंध्र, जम्मू और कश्मीर और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.
केरल पिछले पांच वर्षों में आईएमआर में 12 से 6 की गिरावट के साथ सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा है. यह दर संयुक्त राज्य अमेरिका से मेल खाती है.
सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ हैं. 2009 से 2014 के बीच दोहरे अंकों में सुधार से इन राज्यों में सुधार की गति धीमी होकर एकल अंक पर आ गई. केरल के बाद, दिल्ली ने 11, तमिलनाडु ने 15 के साथ बेहतर प्रदर्शन किया है.
विश्व स्तर पर सबसे कम आईएमआर 2 फिनलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, सिंगापुर और जापान में दर्ज किया गया है. 2019 में भारत का आईएमआर 1971 (129) के मुकाबले लगभग एक चौथाई है.