बीजिंग|…. नेपाल सरकार की तरफ से भारत के साथ अपने कूटनीतिक और राजनीतिक रिश्तों को सुधारने की लगातार कोशिश ने चीन को चिंता में डाल दिया है.
यही कारण है कि चीन ने अब अपने रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंग को काठमांडू भेजा है. नौ घंटे की यात्रा के दौरान चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंग नेपाल के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और नेपाली सेना के प्रधान सेनापति से मुलाकात करेंगे.
बता दें कि नेपाल और भारत के बीच करीब एक साल तक चले सीमा विवाद और संवादहीनता को तोड़ते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सबसे पहले रॉ चीफ सामन्त गोयल को बुलाकर बातचीत की थी.
उसके बाद भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे को नेपाल में उच्च महत्व के साथ तीन दिन का भ्रमण कराया गया. इसके तुरंत बाद 26 और 27 नवंबर को भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की दो दिवसीय नेपाल यात्रा को काफी सफल माना गया. इसके बाद दिसंबर के दूसरे हफ्ते में नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली का नई दिल्ली का दौरा होना है.
नेपाल और भारत के बीच हो रहे इन उच्च स्तरीय दौरे और दोनों देशों के बीच रिश्तों में आ रहे सुधार से चीन परेशान हो उठा है.
नेपाल और भारत के बीच बढ़ती नजदीकियों और अपने कम होते प्रभाव को फिर से बहाल करने के लिए चीन के तरफ से अगले 10 दिन में दो बड़े और प्रभावशाली मंत्रियों का नेपाल दौरा होने जा रहा है. आज चीन के रक्षा मंत्री काठमांडू पहुंचे हैं.
चीन ने यह इच्छा जताई थी कि पीएम ओली, जिनके पास रक्षा मंत्रालय भी है. उनके साथ ही प्रतिनिधिमंडल स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता हो. लेकिन नेपाल के पीएम ने रक्षा मंत्री के तौर पर चीन के रक्षा मंत्री से मिलने से इंकार कर दिया.
ओली सिर्फ पीएम के रूप में ही चीनी रक्षा मंत्री से शिष्टाचार मुलाकात करेंगे. नेपाल की तरफ से द्विपक्षीय वार्ता के लिए उप पीएम तथा पूर्व रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल को जिम्मेदारी दी थी लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा कर नेपाल के प्रधान सेनापति जनरल पूर्णचन्द थापा के साथ ही द्विपक्षीय वार्ता सीमित किया है.
चीन के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है क्योंकि भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे के नेपाल दौरे की घोषणा के समय ही भारत के साथ किसी तरह का विवाद ना हो इसके लिए तत्कालीन रक्षा मंत्री से उनका विभाग छीन लिया था.
इसी कारण चीन यह चाहता था कि उनके रक्षा मंत्री के नेपाल भ्रमण के दौरान प्रधानमंत्री ओली उनसे और उनके प्रतिनिधि मंडल से रक्षा मंत्री के तौर पर द्विपक्षीय वार्ता करें, लेकिन ओली ने इससे इंकार कर दिया.