मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है. पलायन प्रभावित गांवों के लिए प्रस्तावित इस योजना के लिए अब तक बजट जारी नहीं हो पाया है.
सीएम ने गैरसैंण विधानसभा में बजट भाषण पढ़ते हुए, पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन की रोकथाम को प्राथमिकता में रखते हुए, मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना लागू करने की घोषणा की थी.
ग्राम्य विकास विभाग के अधीन इस योजना के तहत पलायन प्रभावित गांवों में चल रही परियोजनाओं को पूरा करने के लिए गैप फंडिंग किया जाना था. इसमें खासकर आजीविका से जुड़े काम पूरे होने थे.
इसके लिए बजट में 20 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया. लेकिन अब तक ग्राम्य विकास विभाग, योजना के तहत जिलों को बजट तक जारी नहीं कर पाया है. योजना पर काम कब शुरू होगा, कोई भी यह बताने की स्थिति में नहीं है.
जानकारों का मत है कि इस साल विधायक निधि में एक करोड़ रुपये की कटौती होने से पलायन रोकथाम योजना के तहत रुके काम पूरे किए जा सकते थे, लेकिन योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है. जबकि इस समय पहाड़ में लाखों की संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी लौटे हैं.
सरकार इन्हें उनके आसपास ही रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास कर रही है, ऐसे में ये योजना अहम साबित हो सकती है. आयुक्त ग्राम्य विकास रामविलास यादव के मुताबिक, योजना को प्राथमिकता पर शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं.
साभार-लाइव हिंदुस्तान